पाक विदेश मंत्रालय का बयान, तालिबान को मान्यता देने में नहीं कोई हड़बड़ी
रूस का मानना है कि अफगानिस्तान में अब तालिबान का शासन है और इस बात को स्वीकार करने के अलावा कोई और चारा नहीं है. रूस की सरकार का मानना है कि तालिबान सरकार से बातचीत से आतंकी खतरे से निपटने में मदद मिलेगी और साथ ही भू-रणनीतिक हितों में भी फायदा होगा.

Islamabad: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने के मामले में सक्त रुख अपनाया है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि वह इस मुद्दे पर कोई जल्दबाजी नहीं करेगा और क्षेत्रीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए फैसला लेगा. यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उसकी मान्यता को लेकर चर्चाएं तेज हैं. पाकिस्तान ने हमेशा से अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की वकालत की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात पर जोर देते हुए इस्लामाबाद का रुख समावेशी और विचारशील होगा, जिसमें क्षेत्रीय सहमति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राय को प्राथमिकता दी जाएगी. यह बयान वैश्विक मंचों पर तालिबान की स्थिति को लेकर चल रही है.
तालिबान को मान्यता पर पाकिस्तान की नीति
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इस बात को साफ किया है कि तालिबान को मान्यता देने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा. "हम अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन की प्रक्रिया का बारीकी से निरीक्षण कर रहे हैं. हमारा मानना है कि इस मामले में क्षेत्रीय और वैश्विक सहमति जरूरी है. " जिससे यह पता चलता है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है.
क्षेत्रीय स्थिरता पर जोर
पाकिस्तान ने बार-बार इस बात पर बल दिया है कि अफगानिस्तान में स्थिरता दक्षिण एशिया के लिए महत्वपूर्ण है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हमारा लक्ष्य एक शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान है, जो क्षेत्रीय विकास और सहयोग को बढ़ावा दे." इस बयान से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान तालिबान के साथ अपने संबंधों को लेकर सावधानी बरत रहा है और क्षेत्रीय शांति को प्राथमिकता दे रहा है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ तालमेल
पाकिस्तान ने यह भी संकेत दिया है कि वह तालिबान को मान्यता देने के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ चलेगा. प्रवक्ता ने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श जारी है. पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सतर्क और रणनीतिक कदम उठा रहा है. पाकिस्तान का यह बयान तालिबान के साथ संबंधों को लेकर उसकी सतर्क और संतुलित नीति को साफ दर्शाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस्लामाबाद इस मुद्दे पर क्षेत्रीय शक्तियों और वैश्विक नेताओं के साथ समन्वय बनाए रखेगा. आने वाले समय में पाकिस्तान का यह रुख अफगानिस्तान की स्थिति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.