मौत के डर से कांप रहा तालिबान सरगना, ट्रंप की धमकियों के बीच हर दिन बदल रहा है अपना ठिकाना
तालिबान का सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा हर रोज़ ठिकाना बदल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लगातार धमकियों के बीच उसका डर और बेचैनी और बढ़ गई है।

International News: तालिबान का सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा इन दिनों चैन की सांस नहीं ले पा रहा। उसका हर दिन नए ठिकाने की तलाश में बीत रहा है। कभी कंधार, कभी मंदिगक और कभी ऐनो मीना। लगातार बदलते ठिकानों ने तालिबान के भीतर भी खौफ़ का माहौल बना दिया है। पहले जहां उसका रूटीन सबको पता होता था, अब उसके ठिकाने का पता लगाना मुश्किल हो गया है। यहां तक कि उलेमा परिषद की साप्ताहिक बैठक भी उसने रद्द कर दी है।
ट्रंप की धमकियों ने बढ़ाया डर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार तालिबान को चेतावनी दे रहे हैं। हाल ही में उन्होंने ब्रिटेन दौरे के दौरान अफगानिस्तान के बग्राम एयरबेस पर अमेरिकी नियंत्रण की बात उठाई। उन्होंने साफ कहा कि अगर अमेरिका को यह बेस नहीं मिला तो नतीजे अच्छे नहीं होंगे। सोशल मीडिया पर भी ट्रंप ने तालिबान को चेताया और साफ किया कि अगर वे पीछे नहीं हटे तो उनका अंजाम बुरा होगा। यही वजह है कि अखुंदज़ादा अपनी सुरक्षा लेकर बेचैन है।
उलेमा परिषद से दूरी
पहले मुल्ला अखुंदज़ादा हर हफ्ते उलेमा परिषद से मिलता था। ये बैठकें तालिबान की नीतियां तय करती थीं। मगर इस बार उसने बैठक को ही रद्द कर दिया। यह रद्दीकरण केवल एक कदम नहीं बल्कि उसके डर और असुरक्षा की गवाही है। तालिबान के कई नेता भी अब उसके हालात पर सवाल उठा रहे हैं। एक तरफ अमेरिकी दबाव है, दूसरी तरफ अपने संगठन में भरोसा बनाए रखना भी उसके लिए बड़ी चुनौती है।
छिपने के लिए बदले ठिकाने
सूत्रों का कहना है कि अखुंदज़ादा इन दिनों मंदिगक, ऐनो मीना और अब्दुल रज़ीक अचकज़ई के घर जैसे सुरक्षित ठिकानों पर रहता है। कभी वह कंधार आर्मी कोर के पुराने मुख्यालय में भी जाता है। मगर पिछले तीन दिनों से किसी को यह नहीं पता कि वह कहां है। यह गुप्तता तालिबान नेतृत्व में खलबली मचा रही है। उसके गार्ड और करीबी लोग भी अब कम जानकारी साझा कर रहे हैं।
ट्रंप की रणनीति साफ
डोनाल्ड ट्रंप ने 20 सितंबर को व्हाइट हाउस में तालिबान को सीधे धमकाया। उन्होंने कहा कि अगर बग्राम बेस अमेरिका के हाथों में वापस नहीं आया तो नतीजे देखने को तैयार रहो। उनका इशारा साफ था कि अमेरिका तालिबान पर किसी भी स्तर पर दबाव बनाने से पीछे नहीं हटेगा। चीन के परमाणु ठिकानों की नज़दीकी की बात कहकर ट्रंप ने अपनी रणनीतिक चिंता भी जाहिर कर दी।
तालिबान का जवाब नरम
तालिबान प्रशासन ने इन धमकियों के बाद एक नरम बयान दिया। उसमें कहा गया कि दोहा समझौते के मुताबिक अमेरिका ने वादा किया था कि अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और भू-सीमा का सम्मान करेगा। इस बयान को कई जानकार तालिबान की कमज़ोरी मानते हैं। क्योंकि आम तौर पर वे सख्त लहजे में जवाब देते रहे हैं। मगर इस बार उनका सुर बदल गया है।
मुल्ला अखुंदज़ादा का सफर
अखुंदज़ादा कंधार का रहने वाला है। 1980 के दशक में उसने रूस के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1994 में वह मुल्ला उमर के साथ तालिबान से जुड़ा। मुल्ला उमर ने उसे कंधार की सैन्य अदालत का प्रमुख बनाया। वहीं से उसकी ताकत बढ़ी और वह तालिबान का एक बड़ा चेहरा बन गया। अब वही आदमी अमेरिकी दबाव और मौत के डर से हर रोज़ अपना ठिकाना बदलने पर मजबूर है।


