भारत-बांग्लादेश विवाद में नया मोड़, यूनुस सरकार के फैसले से बढ़ा तनाव
बांग्लादेश ने स्पष्ट किया है कि मिरसराय में भारत की कोई भी आर्थिक क्षेत्र (इकोनॉमी जोन) मौजूद नहीं है. हालांकि, भारत ने 2020 में बांग्लादेश की इंडस्ट्रियल सिटी में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 115 मिलियन डॉलर के निवेश को मंजूरी दी थी.

भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (BIDA) के अध्यक्ष आशिक चौधरी ने मिरसराय में भारतीय निवेश को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि चटगांव जिले के मिरसराय में कोई "भारतीय इकोनॉमिक जोन" सक्रिय नहीं है, यह केवल कागजों तक ही सीमित रहा है.
115 मिलियन डॉलर के ऋण को स्वीकृति
बांग्लादेश ने पहले इस परियोजना का स्वागत किया था. 2020 में भारत ने बंगबंधु शेख मुजीब इंडस्ट्रियल सिटी में 900 एकड़ भूमि पर ढांचागत विकास के लिए 115 मिलियन डॉलर के ऋण को स्वीकृति दी थी. हालांकि, अब BIDA प्रमुख का कहना है कि मिरसराय की योजना 33,000 एकड़ में थी, जिसे घटाकर पहले चरण में 10,000 से 15,000 एकड़ कर दिया गया.
आशिक चौधरी ने बताया कि भारतीय इकोनॉमिक जोन को लेकर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस परियोजना में कोई प्रगति नहीं हुई.
कपास और धागे के आयात पर पाबंदी
उन्होंने यह भी कहा कि चटगांव बंदरगाह न केवल बांग्लादेश, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए अहम है, खासकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, नेपाल और भूटान के लिए. भारत-बांग्लादेश रिश्तों में हाल के महीनों में खटास देखी गई है. वर्ष 2025 की शुरुआत में बांग्लादेश की ओर से दिए गए कुछ बयानों और निर्णयों के बाद भारत ने बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों जैसे रेडीमेड गारमेंट्स, स्नैक्स, कपास और धागे के आयात पर पाबंदी लगा दी.
इसके जवाब में बांग्लादेश ने पहले भारत से जमीनी मार्गों के जरिए धागा आयात करने पर रोक लगा दी थी. यह घटनाक्रम दोनों देशों के आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों में नई चुनौती बनकर उभरा है.


