ट्रंप की धमकी के बाद सीजफायर को तैयार हुए थाईलैंड और कंबोडिया, अब तक 34 लोगों की जा चुकी है जान
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद से उपजे चार दिवसीय संघर्ष में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है और 1.68 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से दोनों देश युद्धविराम वार्ता को तैयार हुए हैं, लेकिन सीमा पर झड़पें अब भी जारी हैं और मानवीय संकट गहराता जा रहा है.

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पिछले चार दिनों से जारी घातक सीमा संघर्ष के बीच, दोनों देशों ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर युद्धविराम वार्ता की इच्छा जताई है. इस हिंसा में अब तक कम से कम 34 लोगों की जान जा चुकी है और 1.68 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.
ट्रंप की पहल के बाद दोनों देशों ने की पहल
शनिवार को ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर जानकारी दी कि उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं से बातचीत की है और दोनों देशों को शांति के लिए राजी किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि संघर्ष जारी रहा तो अमेरिका किसी भी व्यापार समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा. बाद में उन्होंने घोषणा की कि दोनों पक्ष युद्धविराम पर वार्ता के लिए सहमत हो गए हैं.
कंबोडिया ने बिना शर्त युद्धविराम की घोषणा की
कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने रविवार को बयान दिया कि उनका देश “तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम” के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि ट्रंप की थाई प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई से हुई बातचीत के बाद थाईलैंड भी इस प्रस्ताव पर सहमत हुआ है. उन्होंने उप विदेश मंत्री प्राक सोखोन को अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ समन्वय करने और थाई पक्ष से संपर्क करने का निर्देश दिया है.
थाईलैंड ने जताया सतर्क समर्थन
थाई विदेश मंत्रालय ने कहा कि फुमथम ने ट्रंप का आभार जताया और सैद्धांतिक रूप से युद्धविराम का समर्थन किया, लेकिन साथ ही कंबोडिया की "ईमानदार मंशा" पर बल दिया. उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता की आवश्यकता जताई ताकि शांति की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें.
सीमा पर अब भी जारी है संघर्ष
हालांकि राजनयिक प्रयास तेज हैं, लेकिन रविवार को भी सीमा पर झड़पें जारी रहीं. थाई सेना की उप प्रवक्ता कर्नल ऋचा सुक्सोवानोंत ने बताया कि कंबोडियाई बलों ने सुरिन प्रांत में रॉकेट और भारी हथियारों से हमले किए, जिससे रिहायशी इलाकों को भी नुकसान पहुँचा. जवाब में थाई सेना ने तोपों से हमला कर कंबोडियाई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया.
मानवीय संकट और बढ़ा
संघर्ष के चलते थाईलैंड में 1.31 लाख से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजे गए हैं, वहीं कंबोडिया में भी तीन प्रांतों से लगभग 37,000 लोग पलायन कर चुके हैं. सीमावर्ती गाँवों में स्कूल और अस्पताल बंद हैं, और लोग अस्थायी शिविरों में शरण ले रहे हैं.
स्थानीय लोग कर रहे हैं शांति की अपील
स्थानीय निवासी जैसे कि तकनीशियन पिचायुत सुरसित और विक्रेता बुआली चंदुआंग, जो अपने परिवारों के साथ सुरक्षित शिविरों में रह रहे हैं, दोनों देशों से तत्काल बातचीत शुरू करने और संघर्ष समाप्त करने की अपील कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (AEA) से दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का अनुरोध किया है. वहीं, ह्यूमन राइट्स वॉच ने आबादी वाले इलाकों में क्लस्टर बमों के कथित प्रयोग की निंदा करते हुए नागरिकों की सुरक्षा की मांग की है.
वर्षों पुराना सीमा विवाद फिर उभरा
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लगभग 800 किलोमीटर लंबी सीमा दशकों से विवादित रही है. हालांकि पूर्व के संघर्ष छोटे रहे हैं, लेकिन हालिया हिंसा मई में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद और भड़क उठी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ गई.


