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सीवाइज जायंट: समुद्र का वो दिग्गज जो इतिहास बन गया

सबसे बड़ा जहाज़ सीवाइज जायंट. ये जहाज अपनी विशालता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने घटनापूर्ण सफर के लिए भी जाना जाता है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

दुनिया का सबसे बड़ा जहाज़ सीवाइज जायंट केवल अपनी विशालता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने रोमांचक और घटनापूर्ण सफर के लिए भी जाना जाता है. इस जहाज़ की कहानी किसी फिल्मी किरदार से कम नहीं है, जिसने न सिर्फ युद्ध झेला, बल्कि एक बार पूरी तरह नष्ट होकर फिर से समुद्र में लौट आया.

सीवाइज जायंट का निर्माण

सीवाइज जायंट का निर्माण जापान की सुमितोमो हेवी इंडस्ट्रीज द्वारा वर्ष 1979 में पूरा किया गया था. इसे मूल रूप से एक ग्रीक व्यापारी के लिए बनाया गया था, लेकिन सौदा रद्द हो गया और जहाज़ कुछ समय तक अधर में रहा. बाद में यह हांगकांग के शिपिंग व्यवसायी सी.वाई. तुंग को बेच दिया गया, जिन्होंने इसे कई बदलावों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा जहाज बना दिया. इसकी वहन क्षमता 6 लाख टन से भी अधिक थी और लंबाई लगभग 458 मीटर थी, जो टाइटैनिक से कई गुना बड़ी थी.

इस जहाज़ की गति तो 16.5 नॉट्स (लगभग 30 किमी/घंटा) थी, लेकिन इसके विशाल आकार की वजह से इसे मोड़ने या रोकने के लिए कई किलोमीटर की दूरी की जरूरत होती थी. इतना ही नहीं, यह स्वेज़ और पनामा नहरों जैसे प्रमुख जलमार्गों से भी नहीं गुजर सकता था. मुख्य रूप से यह अमेरिका और मध्य पूर्व के बीच कच्चे तेल के परिवहन में लगाया गया था.

इराकी वायुसेना के हमले का शिकार

हालांकि, 1988 में इसका सफर एक बड़े मोड़ पर आ गया जब यह ईरान-इराक युद्ध के दौरान इराकी वायुसेना के हमले का शिकार हो गया. दो मिसाइलों से हुए हमले में यह बुरी तरह जल गया. युद्ध के बाद इसे नॉर्वे की नॉर्मन इंटरनेशनल ने सिंगापुर ले जाकर मरम्मत करवाई और इसका नाम ‘हैप्पी जायंट’ रखा. फिर 1991 में इसका नाम बदलकर 'जाहरे वाइकिंग' कर दिया गया और यह एक दशक तक फिर से सेवा में रहा.

हालांकि समय के साथ इसकी भारी ईंधन खपत और आकार के कारण इसे बंदरगाहों में प्रवेश देना मुश्किल होने लगा. 2004 में इसे नॉर्वे की फर्स्ट ओल्सन टैंकर्स ने खरीदा और नया नाम दिया ‘नॉक नेविस’, जो कतर में एक अस्थायी तेल भंडारण इकाई के रूप में काम करने लगा.

 'मोंट' रखा गया नाम 

इस ऐतिहासिक जहाज़ की अंतिम यात्रा तब शुरू हुई जब 2009 में इसका नाम बदलकर 'मोंट' कर दिया गया और इसे भारत के अलंग शिपब्रेकिंग यार्ड लाया गया. एक साल से अधिक समय तक स्क्रैप की प्रक्रिया में रहने के बाद 2010 में यह समुद्री दिग्गज हमेशा के लिए इतिहास बन गया.

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04 May 2025, 05:48 PM IST

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