ट्रम्प प्रशासन का बड़ा यू-टर्न, विदेशी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने के खिलाफ़ अपील के लिए हावर्ड को दिया 30 दिन का वक्त
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को प्रवेश देने की क्षमता रद्द करने की योजना बनाई, लेकिन विरोध और कानूनी चुनौती के बाद इसे 30 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया. हार्वर्ड ने इस फैसले को संविधान के खिलाफ बताया और इसे शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया. यदि यह लागू हुआ, तो विश्वविद्यालय और छात्रों दोनों को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली की स्वतंत्रता पर प्रश्न खड़े हो सकते हैं.

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की क्षमता को तत्काल रद्द करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया. इसके बजाय, विश्वविद्यालय को 30 दिनों का समय दिया गया है ताकि वह इस निर्णय को प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से चुनौती दे सके. यह कदम अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) द्वारा हार्वर्ड को भेजे गए एक नोटिस के बाद उठाया गया.
हार्वर्ड का विरोध और कानूनी चुनौती
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस निर्णय का विरोध करते हुए दावा किया कि यह उसके संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. इसके अलावा विश्वविद्यालय ने यह भी आरोप लगाया कि DHS ने आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया. हार्वर्ड के अनुसार, इस निर्णय से उसके लगभग 6,800 अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो कुल नामांकन का लगभग 27% हैं.
ट्रंप प्रशासन के आरोप
DHS ने हार्वर्ड पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें परिसर में यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा देना, रूढ़िवादियों के खिलाफ पक्षपाती होना, और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय करना शामिल है. हालांकि, हार्वर्ड ने इन आरोपों का खंडन किया है और उन्हें निराधार बताया है.
शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वकीलों ने इस कार्रवाई को "शैक्षणिक स्वतंत्रता पर अभूतपूर्व और प्रतिशोधात्मक हमले" के रूप में देखा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रम्प प्रशासन हार्वर्ड के प्रशासन, पाठ्यक्रम और संकाय की विचारधारा को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिकी न्यायपालिका की भूमिका
इस मामले में अमेरिकी जिला न्यायाधीश एलिसन बरोज़ के समक्ष सुनवाई होनी है. न्यायपालिका की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तय करेगी कि ट्रंप प्रशासन का निर्णय संविधानिक रूप से उचित है या नहीं.
हार्वर्ड का भविष्य
यदि हार्वर्ड इस कानूनी लड़ाई में सफल नहीं होता है, तो विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की भर्ती में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यह न केवल हार्वर्ड के लिए, बल्कि पूरे अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी.
इस मामले में आगे की कानूनी प्रक्रियाएं और न्यायपालिका का निर्णय यह निर्धारित करेगा कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम संविधानिक रूप से उचित है या नहीं. अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और विश्वविद्यालयों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे सरकारें शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता को प्रभावित कर सकती हैं.


