गाजा शांति योजना पर इजरायल-हमास की सहमति, ट्रंप ने कैसे किया तैयार?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाज़ा शांति योजना को बड़ी सफलता मिली है। इजरायल और हमास दोनों ने पहले चरण पर सहमति जताई, जिससे युद्धविराम की उम्मीद बढ़ गई।

International News: गाज़ा संघर्ष पर लंबे समय से कोई हल निकलता नहीं दिख रहा था, लेकिन अचानक हालात पलट गए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्लान के पहले चरण को इजरायल और हमास दोनों ने मान लिया। खुद ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। दोनों पक्षों की सहमति चौंकाने वाली है क्योंकि महीनों तक वे सीधे बातचीत से बचते रहे। मगर मिस्र, कतर और अमेरिका की लगातार कोशिशों के बाद आखिरकार बातचीत की जमीन बनी और एक कमजोर लेकिन उम्मीद जगाने वाला रास्ता खुला।
मिस्र और कतर ने निभाई अहम भूमिका
पिछले कई हफ्तों से मिस्र में गुपचुप वार्ताएं चल रही थीं। इजरायल और हमास आमने-सामने बैठने को तैयार नहीं थे, इसलिए मध्यस्थ देश उनके बीच संदेश पहुंचाते रहे। कतर और अमेरिका ने भी बराबर दबाव बनाया और समझाने की कोशिश की। पहले भी कई बार असफल प्रयास हुए थे, मगर इस बार हालात अचानक बदल गए। सूत्रों का कहना है कि अमेरिका ने इजरायल पर सख्त दबाव डाला जबकि हमास पर कतर और मिस्र ने शांतिपूर्ण समाधान अपनाने की जिम्मेदारी डाली।
सितंबर की बमबारी बनी टर्निंग प्वाइंट
इस वार्ता को मोड़ देने वाली घटना सितंबर की शुरुआत में हुई। नौ सितंबर को इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में एक रिहायशी इलाके पर हमला किया। यह वही इलाका था जहां हमास के प्रतिनिधि गुप्त बातचीत कर रहे थे। हालांकि कोई वार्ताकार नहीं मरा, लेकिन इस हमले को सीधा उकसावा माना गया। अमेरिका और मध्य पूर्व के कई अधिकारी गुस्से में आ गए और लगा कि अब शांति की संभावना खत्म हो जाएगी। मगर इसके उलट कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने इजरायल पर हर मौके को बर्बाद करने का आरोप लगाकर नया दबाव बना दिया।
नाराज़गी ने बनाया समझौते का दबाव
दोहा की इस बमबारी के बाद मध्यस्थ देशों में गुस्सा एकजुट हो गया। अमेरिकी अधिकारियों ने साफ कहा कि अगर प्रगति नहीं दिखी तो इजरायल का समर्थन कम हो सकता है। कतर और मिस्र ने भी हमास को चेताया कि यह आखिरी मौका है। इस तरह दोनों तरफ दबाव इतना बढ़ा कि वे पीछे हटने के बजाय समझौते पर राजी हो गए। एक मिस्री राजनयिक ने कहा, “जिस वारदात ने बातचीत तोड़नी थी, उसी ने सबको फिर मेज़ पर ला दिया।”
युद्धविराम की पहली सीढ़ी
ट्रंप की योजना का पहला चरण हिंसा रोकने और राहत सामग्री पहुंचाने पर केंद्रित है। दोनों पक्षों ने मान लिया कि सीमा पार हमलों को रोका जाएगा और गाज़ा में मानवीय मदद पहुंचेगी। अमेरिकी अधिकारियों को भरोसा है कि इससे आगे राजनीतिक संवाद का रास्ता खुलेगा। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह बेहद नाजुक समझौता है और इसका लागू होना आसान नहीं होगा।
ट्रंप ने लिया श्रेय
समझौते की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने असंभव को संभव किया है। उन्होंने कहा, “हमने शांति की दिशा में एक अहम कदम उठाया है।” ट्रंप ने इस सफलता को अपनी वैश्विक नेतृत्व क्षमता का सबूत बताया। उनके लिए यह सिर्फ विदेश नीति की जीत नहीं बल्कि घरेलू राजनीति में भी बड़ा मुद्दा है।
भविष्य पर अभी भी संशय
हालांकि खुशी के बीच खतरे भी कम नहीं हैं। इजरायल की आंतरिक राजनीति और हमास के अंदरूनी मतभेद इस समझौते को बिगाड़ सकते हैं। पहले भी कई युद्धविराम छोटे उल्लंघनों से टूट चुके हैं। दोनों पक्षों के बीच अविश्वास गहरा है और बाहर से भी कई ताकतें इसे पटरी से उतार सकती हैं। फिर भी इस बार की सहमति ने उम्मीद जगाई है कि शायद वर्षों से चले आ रहे संघर्ष में अब शांति की किरण दिख सकती है।


