गाज़ा युद्धविराम पर बनी सहमति, ट्रंप के नोबेल सपनों को मिली नई उड़ान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने सात बड़े युद्ध खत्म किए और अब गाज़ा शांति योजना से उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीदें और मजबूत हो गई हैं।

International News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को एक बार फिर वैश्विक शांति दूत के रूप में पेश किया है। उनका कहना है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान विवाद, इजरायल-ईरान संघर्ष और थाईलैंड-कंबोडिया सीमा झगड़े समेत सात युद्ध खत्म करवाए। ट्रंप का मानना है कि उनकी यही कोशिशें उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने के लिए काफी हैं। उनके समर्थक उन्हें "प्रेसिडेंट ऑफ पीस" कहकर पुकार रहे हैं और अब गाज़ा समझौते ने उनकी दावेदारी और मजबूत कर दी है।
गाज़ा में नया मोड़
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर ऐलान किया कि इजरायल और हमास उनकी 20 बिंदुओं वाली शांति योजना के पहले चरण पर राजी हो गए हैं। दो साल से चल रहे इस संघर्ष में अब तक 67,000 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। समझौते के तहत हमास 48 बंधकों को छोड़ेगा, जिनमें 20 जिंदा माने जा रहे हैं। इसके बदले में इजरायल करीब 2000 फिलिस्तीनियों को जेल से छोड़ेगा। यह युद्धविराम गुरुवार से लागू होने की संभावना है।
नोबेल से ठीक पहले एलान
गाज़ा युद्धविराम का यह एलान ठीक उसी वक्त आया है जब 2025 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा होनी है। ट्रंप लंबे समय से इस सम्मान की चाहत जता रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी दावा किया था कि वे नोबेल प्राइज डिज़र्व करते हैं। व्हाइट हाउस ने भी उन्हें "द पीस प्रेज़िडेंट" बताते हुए उनका चित्र जारी किया। आलोचकों का कहना है कि यह कदम शांति से ज्यादा उनकी छवि चमकाने की कोशिश है।
इजरायल की नीयत पर सवाल
कई विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती इजरायल को शांति समझौते पर टिकाए रखना होगी। अतीत में कई बार युद्धविराम होते ही इजरायल ने हमला फिर से शुरू कर दिया। अमेरिकी विशेषज्ञ माइकल शेफ़र ओमर-मैन का कहना है कि असली परीक्षा यह है कि क्या इजरायल मदद, सामान और लोगों की आवाजाही की इजाज़त देगा। वहीं इजरायल के कट्टरपंथी मंत्री बेज़ालेल स्मोटरिच ने साफ कहा है कि बंधकों की वापसी के बाद हमास को पूरी तरह खत्म करने की कोशिशें जारी रहेंगी।
धमकियों के दावे
कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप ने इस डील को आगे बढ़ाने के लिए कूटनीति से ज्यादा धमकी का इस्तेमाल किया। खबरों के मुताबिक अमेरिका ने हमास को चेतावनी दी कि अगर उसने बिना शर्त योजना नहीं मानी तो उसे "पूरी तरह मिटा दिया जाएगा"। मध्य पूर्व मामलों के जानकार मौइन रब्बानी का कहना है कि यह डील दो साल पहले भी हो सकती थी, लेकिन इजरायल के रवैये ने इसे रोक रखा था।
नोबेल की राह आसान?
नोबेल शांति पुरस्कार 10 अक्टूबर 2025 को घोषित होगा। पाकिस्तान, इजरायल, कंबोडिया, अज़रबैजान और आर्मेनिया समेत सात देशों ने ट्रंप का नामांकन किया है। रवांडा और गैबॉन ने भी उनका समर्थन किया है। अगर ट्रंप यह पुरस्कार जीतते हैं तो वे अमेरिकी राष्ट्रपतियों थिओडोर रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर और बराक ओबामा की कतार में शामिल हो जाएंगे।
नतीजे का इंतजार
फिलहाल सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह युद्धविराम लंबे समय तक कायम रह पाता है। अगर समझौता सफल हुआ तो ट्रंप का "मिडिल ईस्ट पीस" सपना सच हो सकता है। लेकिन अगर यह पहले की तरह टूट गया तो उनकी कोशिशें केवल राजनीतिक प्रचार तक सिमट जाएंगी। असली परीक्षा आने वाले दिनों में होगी जब यह साफ होगा कि समझौते की राह शांति तक जाती है या फिर युद्ध के मैदान तक।


