ट्रंप का फैसला, भारत को 'बोनस'! H-1B वीजा फीस बढ़ते ही शिफ्ट करने पर विचार कर रहीं अमेरिकी कंपनियां
Trump H1B visa: अमेरिका में H1B वीजा फीस में भारी बढ़ोतरी के बाद अमेरिकी कंपनियां अपने उच्च मूल्य वाले कार्य भारत में शिफ्ट करने लगी हैं, जिससे भारतीय GCC (ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर्स) का महत्व बढ़ गया है.

Trump H1B visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में H1B वीजा फीस में भारी वृद्धि की है. इस फैसले से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर असर पड़ा है, क्योंकि H1B वीजा होल्डर्स में से 70 फीसदी से ज्यादा भारतीय हैं. वहीं, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस फैसले के चलते अमेरिकी कंपनियां अपने उच्च मूल्य वाले कार्य भारत में शिफ्ट करने के लिए प्रेरित हो रही हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका की नई नीति के चलते विदेशी परिचालन (Offshoring Operations) में भारत का रुझान बढ़ रहा है और देश के ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर्स (GCC) अब AI, ड्रग डिस्कवरी और उत्पाद विकास जैसे हाई वैल्यू कामों के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं.
H1B वीजा फीस में जबरदस्त बढ़ोतरी
इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत नए H1B वीजा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की फीस लागू कर दी गई. यह पहले की 1,500-4,000 डॉलर की फीस से लगभग 70 गुना ज्यादा है. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी नागरिकों की नौकरी और राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण H1B वीजा को सीमित करने पर जोर दिया, जिससे उद्योग जगत में काफी उलझन पैदा हुई.
अमेरिकी कंपनियों ने भारत की ओर किया रुख
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1,700 से ज्यादा GCC हैं, जो वैश्विक संख्या का आधा से ज्यादा हिस्सा हैं. ये सेंटर अब केवल टेक्निकल सपोर्ट तक सीमित नहीं रह गए हैं बल्कि उच्च मूल्य वाले नवाचार जैसे कि ड्रग डिस्कवरी, AI और प्रोडक्ट डिजाइनिंग के लिए केंद्र बन गए हैं. डेलॉइट इंडिया के पार्टनर रोहन लोबो ने कहा कि भारत के GCC अमेरिकी कंपनियों के रणनीतिक बदलाव को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. ये सेंटर एक इन-हाउस इंजन की तरह काम कर रहे हैं और कंपनियों की जरूरतों के मुताबिक काम को संभालने में सक्षम हैं.
कंपनियों की नई रणनीति
रिपोर्ट में बताया गया कि कई अमेरिकी कंपनियां अपने वर्कफोर्स की जरूरतों का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं और भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रही हैं. फाइनेंशियल सर्विस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह बदलाव विशेष रूप से देखा जा रहा है और कई अमेरिकी फेडरल कॉन्ट्रैक्ट कंपनियां अब अपने हाई वैल्यू कार्य भारत में कर रही हैं.
H1B और L-1 वीजा प्रोग्राम में कड़े नियम
हाल ही में अमेरिका के दो सीनेटर्स ने H1B और L-1 वर्कर्स वीजा प्रोग्राम के नियमों को कड़ा करने के लिए विधेयक पेश किया. इस विधेयक में प्रमुख कंपनियों द्वारा वीजा नियमों का दुरुपयोग करने के मामलों को निशाना बनाया गया. अगर ट्रंप प्रशासन के वीजा प्रतिबंध लागू रहते हैं, तो विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिकी कंपनियां AI, साइबर सिक्योरिटी, एनालिटिक्स और उत्पाद विकास जैसे उच्च मूल्य वाले कार्य भारत के GCC में ट्रांसफर करेंगी.
भारतीय GCC का बढ़ता महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के बदलावों से भारतीय GCC को हाई वैल्यू कामों के लिए नए अवसर मिले हैं. कई कंपनियां पहले से ही अपने रणनीतिक कार्यों को भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रही थीं और अब इस प्रक्रिया को और तेज करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं.


