ट्रंप के दूत और कतर के अमीर ने थामा मोर्चा, थम गई ईरान-इजराइल की जंग
एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब डोनाल्ड ट्रंप के दूत ने ईरान को सीजफायर के लिए कॉल किया, तो ईरान ने शर्त रखी कि समझौता तभी होगा जब इजराइल हमले रोकेगा. यह पहल कतर की सिफारिश पर हुई थी, जिस पर अमेरिका ने सीजफायर की घोषणा की.

मध्य पूर्व में 12 दिनों से चल रहे ईरान-इजराइल युद्ध को थामने में कतर ने निर्णायक भूमिका निभाई है. अमेरिकी मैगजीन ‘न्यूजवीक’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर की सिफारिश पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच सीजफायर की घोषणा की. यह कदम उस वक्त उठा जब ईरान ने कतर पर मिसाइलें दागीं और दोहा के अमेरिकी एयरबेस को निशाना बनाया.
सूत्रों के अनुसार, ईरान के कतर पर मिसाइल हमले के तुरंत बाद कतर के अमीर और प्रधानमंत्री ने अमेरिका से संपर्क साधा. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से लगातार संवाद बनाए रखा. ट्रंप ने मध्य पूर्व मामलों के अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से तुरंत बात की और उन्हें ईरान के विदेश मंत्री से संपर्क साधने को कहा.
ईरान ने बातचीत के लिए रखी सख्त शर्त
जब विटकॉफ ने ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची से संपर्क किया, तो ईरान ने एक स्पष्ट शर्त रखी—अगर इजराइल हमला रोकता है, तभी सीजफायर संभव है. अराघची ने दो टूक कहा कि जंग की शुरुआत इजराइल ने की थी, लिहाजा पहला कदम भी उसी को उठाना होगा. विटकॉफ ने ईरान को भरोसा दिलाया कि अमेरिका इजराइल को अगले 24 घंटे तक हमले से रोक देगा.
कतर का कूटनीतिक रोल
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीजफायर की घोषणा होने तक कतर की भूमिका सक्रिय रही. कतर के अमीर और प्रधानमंत्री खुद इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे और अमेरिकी नेतृत्व के साथ पल-पल की जानकारी साझा कर रहे थे. इस दौरान कतर में डर का माहौल बना रहा, क्योंकि आगे और मिसाइल हमले की आशंका बनी हुई थी.
परमाणु ठिकानों पर हमले और आगे की राह
इस संघर्ष की मूल जड़ ईरान के परमाणु कार्यक्रम को माना जा रहा है. अमेरिका और इजराइल ने दावा किया था कि ईरान यूरेनियम संवर्धन की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है. इसी के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बम गिराए. हालांकि, ईरान ने इन ठिकानों में यूरेनियम होने से इनकार किया और ब्रिटिश अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने रिपोर्ट दी कि हमला होने से पहले ही 400 किलो यूरेनियम को वहां से हटा दिया गया था.
क्या यह सिर्फ एक अस्थायी विराम है?
इजराइल का दावा है कि फिलहाल ईरान एक-दो साल तक परमाणु हथियार नहीं बना पाएगा. मगर विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान की अगली रणनीति ही यह तय करेगी कि यह युद्धविराम स्थायी रहेगा या एक बार फिर टकराव की आग भड़केगी. ट्रंप की सीजफायर पहल से फिलहाल तनाव पर विराम लगा है, लेकिन भविष्य पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है.


