ट्रंप का नेशनल गार्ड तैनाती प्लान ठप, कोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी
अमेरिकी फेडरल जज ने पोर्टलैंड में ट्रंप प्रशासन द्वारा नेशनल गार्ड की तैनाती पर रोक लगाते हुए कहा कि यह संविधान और कानून का उल्लंघन है. ओरेगन और इलिनोइस के गवर्नरों ने इस कदम को अनावश्यक बताया, जबकि ट्रंप ने शहरों को “अशांत क्षेत्र” करार देकर तैनाती को उचित ठहराया.

अमेरिका के ओरेगन राज्य में एक अहम कानूनी फैसले ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन को बड़ा झटका दिया है. राज्य और उसके सबसे बड़े शहर पोर्टलैंड द्वारा दायर मुकदमे में फेडरल जज करिन इमरगुट ने पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड की तैनाती पर अस्थायी रोक लगा दी है. ट्रंप प्रशासन ने यह तैनाती केंद्रीय अधिकारियों और संघीय संपत्तियों की सुरक्षा के नाम पर की थी.
संविधान और कानून का उल्लंघन का आरोप
वादियों ने अदालत में दलील दी कि नेशनल गार्ड की यह तैनाती अमेरिकी संविधान और उस संघीय कानून का उल्लंघन करती है, जो सेना के घरेलू मामलों में इस्तेमाल को सीमित करता है. जज इमरगुट ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला तीन बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से जुड़ा है – संघीय और राज्य सरकारों के बीच संतुलन, सेना और घरेलू कानून प्रवर्तन की सीमाएं व कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का तालमेल.
पोर्टलैंड में हिंसा का आधार नहीं
जज ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति केवल उन स्थितियों में नेशनल गार्ड की तैनाती कर सकते हैं, जब स्थानीय कानून प्रवर्तन बल असफल साबित हों. लेकिन पोर्टलैंड के मामले में ऐसा नहीं था. अदालत में प्रस्तुत सबूतों से यह साबित हुआ कि राष्ट्रपति के आदेश से पहले पोर्टलैंड आव्रजन केंद्र के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन न तो अत्यधिक हिंसक थे और न ही गंभीर रूप से विघटनकारी. जज के अनुसार, राष्ट्रपति का यह निर्णय “तथ्यों से परे” था.
रक्षा मंत्रालय की योजना
रक्षा विभाग ने पहले कहा था कि ओरेगन के नेशनल गार्ड के 200 सदस्यों को 60 दिनों के लिए संघीय नियंत्रण में रखा जाएगा ताकि प्रदर्शन स्थलों पर संघीय संपत्तियों की सुरक्षा की जा सके. वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और इलिनोइस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर ने भी खुलासा किया कि ट्रंप प्रशासन इलिनोइस के नेशनल गार्ड के 300 सैनिकों को संघीय नियंत्रण में लाने की योजना बना रहा है. यह कदम अमेरिकी शहरों में संघीय हस्तक्षेप के हालिया रुझान को दर्शाता है.
ट्रंप का रुख और आलोचना
राष्ट्रपति ट्रंप ने पोर्टलैंड और शिकागो जैसे शहरों को अपराध और अव्यवस्था से पीड़ित बताया है. उन्होंने पोर्टलैंड को “युद्ध क्षेत्र” करार दिया और कहा कि वहां स्थिरता लाने के लिए सैनिकों की तैनाती जरूरी थी. अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही ट्रंप ने मैरीलैंड के बाल्टीमोर, टेनेसी के मेम्फिस, वाशिंगटन डीसी, न्यू ऑरलियन्स, ओकलैंड, सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिलिस समेत कई शहरों में सैनिक भेजे हैं या भेजने की योजना बनाई है.
हालांकि, ओरेगन और इलिनोइस के गवर्नर इस कदम को अनावश्यक मानते हैं. ओरेगन की गवर्नर टीना कोटेक ने सितंबर में ट्रंप से साफ कहा था कि यह तैनाती किसी भी हाल में आवश्यक नहीं थी. इस फैसले ने ट्रंप प्रशासन की उस नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसके तहत वह स्थानीय विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए संघीय बलों का इस्तेमाल कर रहा है.


