बिन मादा दो नरों ने पैदा किया बच्चा, चीन के वैज्ञानिकों के किया चौंका देने वाला एक्सपेरिमेंट
Genetic Experiment: चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा प्रयोग किया है, जिसने दुनियाभर में हलचल मचा दी है. उन्होंने दो नरों से संतान पैदा कर दिखाया. यह खोज जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में इंसानों के लिए भी नई संभावनाएं खोल सकती है. हालांकि, इस तकनीक में अभी कई चुनौतियां बनी हुई हैं.

Genetic Experiment: आमतौर पर, किसी भी स्तनधारी जीव के जन्म के लिए माता-पिता दोनों की आवश्यकता होती है, लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने विज्ञान की इस पारंपरिक धारणा को तोड़ दिया है. उन्होंने एक ऐसा प्रयोग किया है जिसने दुनियाभर के वैज्ञानिक समुदाय को हैरान कर दिया. इस प्रयोग में दो नर चूहों से संतान पैदा की गई—वो भी बिना किसी माँ की भूमिका के. यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो भविष्य में मानव प्रजनन के लिए भी नए द्वार खोल सकती है.
यह खोज न केवल जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है, बल्कि समलैंगिक जोड़ों और विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा सकती है. हालांकि, इस तकनीक में अभी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से विज्ञान के क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर संकेत करता है.
कैसे हुआ यह चमत्कार?
वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग के लिए दो नर चूहों का चयन किया और लैब में पूरे प्रोसेस को अंजाम दिया. पहले चरण में, एक नर चूहे से शुक्राणु (स्पर्म) लिया गया और दूसरे नर चूहे से भ्रूणीय स्टेम सेल (Embryonic Stem Cell) प्राप्त किया गया. इस स्टेम सेल में जेनेटिक मॉडिफिकेशन (Genetic Modification) किए गए, जिससे भ्रूण बनने में कोई बाधा न आए. इसके बाद, इस मिश्रण को एक अंडाणु (Egg Cell) में डाला गया, जिसकी अपनी डीएनए (DNA) पहले ही हटा दी गई थी.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि भ्रूण को सफलतापूर्वक विकसित करने के लिए 20 जीन में बदलाव किए गए. इस प्रक्रिया ने उन जैविक बाधाओं को हटाने में मदद की, जो आमतौर पर केवल माता-पिता दोनों की मौजूदगी में ही हल हो पाती हैं.
कितनी सफल रही यह प्रक्रिया?
इस प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने 1,000 से अधिक भ्रूण बनाए, लेकिन उनमें से केवल 134 ही जीवित रह सके. हालांकि यह संख्या कम है, लेकिन यह दिखाता है कि तकनीक धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है. जन्मे चूहों में से कुछ बेहद कमजोर थे, कुछ के चेहरे की बनावट असामान्य थी और कुछ दूध नहीं पी पा रहे थे. इसके अलावा, जो थोड़े स्वस्थ चूहे थे, वे भी आगे संतान पैदा करने में असमर्थ (Infertile) थे.
क्या इंसानों के लिए संभव हो सकता है यह प्रयोग?
फिलहाल, यह तकनीक इंसानों के लिए उपयुक्त नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इसमें सुधार किया जा सकता है. अगर यह तकनीक इंसानों पर लागू होती है, तो समलैंगिक जोड़ों के लिए जैविक संतान पैदा करना संभव हो सकता है. यहाँ तक कि कोई अकेला पुरुष भी अपनी जैविक संतान को जन्म दे सकेगा.
पहले भी हो चुका है ऐसा प्रयोग
यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिकों ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है. इससे पहले जापान की चुशू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी ऐसा ही प्रयोग किया था. उन्होंने दो नर चूहों से सेल लेकर एक अंडाणु (Egg) का निर्माण किया और फिर लैब में ही भ्रूण को विकसित किया.
वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले 10 वर्षों में यह तकनीक इंसानों पर भी आजमाई जा सकती है. यदि ऐसा हुआ, तो यह मानव प्रजनन प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा. आज जो विज्ञान-कथा (Science Fiction) लगता है, वह कल की सच्चाई बन सकता है.


