अनिश्चितता, तनाव और टूटते सपने! ट्रंप के फैसले के बाद हार्वर्ड में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की बढ़ी चिंता
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे भारतीय छात्र ट्रंप प्रशासन की नीतियों से उत्पन्न अनिश्चितता, वीज़ा संकट और नौकरी की कमी से जूझ रहे हैं. कई छात्र भारत लौटने पर विचार कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य विकल्प तलाश रहे हैं. संस्थान और छात्रों का सहयोग उन्हें कुछ राहत जरूर दे रहा है, लेकिन भविष्य को लेकर चिंता बरकरार है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों का कहना है कि वे बीते कुछ महीनों में काफी तनाव और अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीतियों और विश्वविद्यालय के साथ चल रहे विवादों के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. हार्वर्ड केनेडी स्कूल से हाल ही में स्नातक हुए एक छात्र ने कहा कि अब यह तय कर पाना मुश्किल है कि अमेरिका में रहना ठीक रहेगा या भारत लौट जाना बेहतर होगा.
विदेशी छात्रों के लिए माहौल चुनौतीपूर्ण
ट्रंप सरकार की ओर से विदेशी छात्रों पर सख्ती, विश्वविद्यालयों को मिलने वाली फंडिंग में कटौती और वीज़ा नियमों में बदलाव जैसी कार्रवाइयों ने भारतीय छात्रों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. हाल ही में अमेरिकी सरकार ने हार्वर्ड के विदेशी छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को भी अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था. इससे कई छात्रों की पढ़ाई और कानूनी स्थिति पर संकट खड़ा हो गया.
नौकरी की संभावनाओं पर गहराया संकट
हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ डिजाइन से पास हुए एक छात्र का कहना है कि वे अमेरिका में कुछ साल काम करने की योजना लेकर आए थे, ताकि अनुभव और आर्थिक स्थिरता मिल सके. लेकिन मौजूदा माहौल में कंपनियां अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर हिचकिचा रही हैं. एक छात्रा ने बताया कि वीज़ा की अनिश्चित स्थिति के कारण बहुत से नियोक्ताओं ने उन्हें काम पर रखने से साफ मना कर दिया.
अंतिम सेमेस्टर में मिला झटका
एक छात्र ने याद किया कि जब वे अपनी पढ़ाई के अंतिम चरण में थे, उसी समय उन्हें यह खबर मिली कि हार्वर्ड का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) प्रमाणन समाप्त कर दिया गया है. इससे विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता था और मौजूदा छात्रों को अपना स्टेटस बदलना या देश छोड़ना पड़ता.
क्या भारत लौटना एकमात्र विकल्प?
कई छात्रों का मानना है कि अब अमेरिका में रहना उतना सुरक्षित और व्यावहारिक नहीं रह गया है. कुछ छात्रों ने वापस भारत लौटने का मन बना लिया है, तो कुछ यूरोप या अन्य देशों में अवसर तलाश रहे हैं. एक छात्र ने कहा कि "हमारा सपना था अमेरिका में करियर बनाना, लेकिन मौजूदा माहौल में यह सपना टूटता नजर आ रहा है."
संस्थान और साथी छात्रों से मिली थोड़ी राहत
हालांकि छात्रों ने यह भी माना कि विश्वविद्यालय प्रशासन और अमेरिकी छात्रों का रवैया सहयोगपूर्ण रहा है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर जो समर्थन दिखाया गया, उसने थोड़ी उम्मीद ज़रूर जगाई है.