पाकिस्तान पर मेहरबान हुआ अमेरिका, F-16 अपग्रेड पैकेज के लिए दी करोडों की मदद
अमेरिका ने पाकिस्तान को उसके F-16 फाइटर जेट्स के लिए लगभग $686 मिलियन का टेक्निकल अपग्रेड और सपोर्ट पैकेज बेचने की मंज़ूरी दे दी है। इस फैसले की घोषणा डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को भेजे गए एक लेटर के ज़रिए की गई।

नई दिल्ली: अमेरिका ने पाकिस्तान को उसके F-16 लड़ाकू विमानों के लिए लगभग 686 मिलियन डॉलर (करीब ₹5,800 करोड़) मूल्य के तकनीकी अपग्रेड और सहायता पैकेज की बिक्री को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय 8 दिसंबर को अमेरिकी डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को भेजे गए पत्र के माध्यम से लिया गया. इससे पाकिस्तान के मौजूदा F-16 फाइटर जेट बेड़े की क्षमता, तालमेल और उम्र में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है.
पैकेज में शामिल तकनीक और सहायता
इस बड़े अपग्रेड पैकेज में कई उन्नत तकनीकी सिस्टम और समर्थन शामिल हैं, जिनका उद्देश्य पाकिस्तान की वायुसेना के F-16 विमानों को आधुनिक बनाना तथा उनकी युद्धक क्षमता बढ़ाना है. मुख्य रूप से इसमें शामिल हैं:
1. Link-16 डेटा लिंक सिस्टम – यह एक सुरक्षित और वास्तविक-समय कम्युनिकेशन नेटवर्क है, जो मित्र और सहयोगी बलों के बीच डेटा साझा करने में मदद करता है और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से सुरक्षा प्रदान करता है.
2. क्रिप्टोग्राफिक (गुप्त कोड) उपकरण और नया एवियोनिक्स – विमान के इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को उन्नत बनाता है.पायलट ट्रेनिंग, सिम्युलेटर, स्पेयर पार्ट्स, सॉफ्टवेयर अपडेट आदि भी शामिल हैं.
3. इस पैकेज में 92 Link-16 सिस्टम और छह निष्क्रिय (बिना बारूद) Mk-82 बम बॉडीज़ भी हैं, जिन्हें हथियारों के टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
F-16 की उम्र और क्षमता अब और भी बेहतर
DSCA के पत्र में कहा गया है कि इस तकनीकी उन्नयन से पाकिस्तान के F-16 विमानों की सेवा-अवधि को 2040 तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे वे और अधिक समय तक प्रभावी रूप से ऑपरेट हो सकेंगे. साथ ही, यह उन्नयन अमेरिकी वायुसेना और अन्य साझेदार सेनाओं के साथ बेहतर तालमेल बनाने में भी मदद करेगा.
अब कांग्रेस के पास इस प्रस्तावित सौदे की समीक्षा करने और 30 दिनों के भीतर इस पर रोक लगाने का अधिकार है. हालांकि, इस तरह के हथियार सौदे पर अक्सर कड़ी विचार-विमर्श होती है, फिर भी पिछले मामलों में इन्हें बिना किसी रोक के मंजूरी मिलती आई है.
क्यों बढ़ी विशेषज्ञों की चिंता
भारत सहित कई रक्षा विशेषज्ञ इस निर्णय को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि Link-16 जैसे संवेदनशील सिस्टम से पाकिस्तान को संयुक्त-राज्य व नाटो संलग्न बलों के समान सूचना साझा करने तथा आधुनिक युद्ध रणनीति में फायदा मिलेगा. इसके अलावा, यह कदम क्षेत्रीय सैन्य संतुलन पर भी प्रभाव डाल सकता है, जिसे लेकर भारत सतर्क है.
अमेरिका का कहना है कि यह बिक्री आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और पाकिस्तान के मौजूदा रक्षा ढांचे को सुरक्षित बनाए रखने के उद्देश्य से है. अमेरिकी रक्षा एजेंसी का यह भी मानना है कि इससे न तो क्षेत्रीय सैन्य संतुलन बिगड़ेगा और न ही अमेरिकी रक्षा तैयारियों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.


