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ट्रंप को जिनपिंग के फोन का इंतजार, लेकिन चीन ने बातचीत से किया इनकार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर दबाव बनाकर शी जिनपिंग से बातचीत की पहल की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन चीन झुकने को तैयार नहीं है. ट्रंप ने जहां जापान और वियतनाम जैसे देशों को टैरिफ राहत दी, वहीं चीन पर 145% टैरिफ लगाकर तनाव बढ़ा दिया। जवाब में चीन ने अमेरिकी फिल्मों पर बैन लगाते हुए टैरिफ 84% तक बढ़ा दिए.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि चीन आखिरकार झुकेगा और शी जिनपिंग उन्हें कॉल करके बातचीत शुरू करेंगे. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. चीन ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी तरह की पहल नहीं करेगा. ट्रंप का ये रणनीतिक इंतजार अब अमेरिका के लिए उल्टा पड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि चीन न केवल जवाबी कार्रवाई कर रहा है, बल्कि धीरे-धीरे अमेरिका की आर्थिक नब्ज पर भी वार कर रहा है.

ट्रंप ने हाल ही में 90 दिनों के लिए कुछ देशों को टैरिफ में राहत दी थी, जिससे वैश्विक बाजारों में हलचल दिखी. लेकिन चीन के साथ उन्होंने अलग रुख अपनाते हुए उस पर दबाव बढ़ा दिया. नतीजा यह हुआ कि अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर और भी गंभीर होता जा रहा है.  

चीन को छोड़ बाकी देशों को मिली टैरिफ राहत  

डोनाल्ड ट्रंप ने जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों के साथ व्यापारिक बातचीत तेज कर दी है और उन्हें टैरिफ में अस्थायी राहत भी दी है. लेकिन चीन को इस राहत से बाहर रखते हुए ट्रंप ने वहां से आने वाले सामानों पर 145 फीसदी तक का टैरिफ लगा दिया है. इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी फिल्मों पर बैन लगाते हुए टैरिफ 84 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं.

ट्रंप का अड़ियल रुख

CNN की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने अपनी टीम से साफ कह दिया है कि पहला कॉल चीन की ओर से आना चाहिए. उन्हें भरोसा है कि शी जिनपिंग बातचीत करेंगे, लेकिन चीन बार-बार इस तरह के किसी भी संपर्क से इनकार करता रहा है. ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा था, "चीन सौदा करना चाहता है, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरू करे. वे गर्व करने वाले लोग हैं."

शी जिनपिंग नहीं दिखाना चाहते कमजोरी  

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है. अगर वे पहले बातचीत की पहल करते हैं तो घरेलू स्तर पर यह उनकी कमजोरी के रूप में देखा जा सकता है. चीन चाहता है कि अमेरिका ही झुके, जबकि ट्रंप उसी उम्मीद में टिके हुए हैं कि चीन थककर खुद फोन करेगा.

बातचीत की कोशिशें

हालांकि कुछ बैक चैनल बातचीत की कोशिशें हुई हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच भरोसे की भारी कमी है. ट्रंप की टीम ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी को गंभीर वार्ताकार मानने से इनकार कर दिया, जबकि चीन अमेरिका द्वारा सुझाए गए नामों से सहमत नहीं हुआ. इस टकराव ने हालात और जटिल बना दिए हैं.

चीन का जवाबी हमला

चीन ने अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए कई रास्ते अपनाए हैं. एलन मस्क जैसे कारोबारियों के जरिए ट्रंप तक पहुंचने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली. चीन ने ऐपल और स्टारबक्स जैसी कंपनियों पर पाबंदी लगाने की योजना बनाई, पर घरेलू नाराजगी के डर से उसे रोक दिया गया. अब चीन अमेरिका से कम सामान खरीदने और ब्राजील जैसे विकल्पों की ओर बढ़ने की योजना बना रहा है.

खतरनाक मोड़ पर पहुंचा ट्रेड वॉर  

चीन ने अमेरिका को झटका देने के लिए कुछ दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगा दी है, जो अमेरिकी टेक और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी हैं. अगर चीन आगे चलकर अमेरिकी बॉन्ड्स को बेचना शुरू करता है या सभी खनिजों पर प्रतिबंध लगाता है, तो यह टकराव और ज्यादा गंभीर हो सकता है.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस लड़ाई में चीन ज्यादा मजबूत स्थिति में है. शी जिनपिंग के पास देश में सत्ता पर जबरदस्त पकड़ है और वे आर्थिक नुकसान सहने को तैयार हैं. वहीं ट्रंप अब भी यह मानते हैं कि चीन अंततः घुटने टेक देगा.

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11 April 2025, 10:37 AM IST

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