गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका की कानूनी कार्रवाई या रणनीतिक भूल... जानिए क्या कहती हैं रिपोर्ट?
अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा गौतम अडानी पर लगाए गए आरोपों को फोर्ब्स ने एक 'रणनीतिक भूल' बताया, जो भारत-अमेरिका संबंधों को कमजोर कर सकती है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के प्रयासों के बीच. यह कदम भारत को रूस और चीन के करीब ला सकता है.

अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) द्वारा भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी पर लगाए गए आरोप को प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने रणनीतिक भूल करार दिया है. पत्रिका में प्रकाशित 'The US Harms The West's Alliances With A Far-Flung Indictment In India' शीर्षक वाले लेख में लेखक मेलिक कायलान ने तर्क दिया कि यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है. खासकर तब जब अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए मजबूत गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहा है.
भारत के खिलाफ कार्रवाई से पश्चिमी गठबंधन कमजोर
लेख में यह भी कहा गया है कि भारत पश्चिम के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है, विशेष रूप से भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) जैसी परियोजनाओं में, जिसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को टक्कर देने के लिए विकसित किया गया है. लेकिन अमेरिकी न्याय विभाग की यह कार्रवाई इस आर्थिक साझेदारी और विश्वास को कमजोर कर सकती है, जिससे भारत रूस और चीन के और करीब आ सकता है. इसका सीधा असर वैश्विक शक्ति संतुलन पर पड़ेगा और अमेरिका की खुद की स्थिति कमजोर हो सकती है, जिससे उसके विरोधी मजबूत होंगे.
अमेरिकी 'ओवररीच' से वैश्विक सहयोग पर असर
फोर्ब्स ने यह भी तर्क दिया कि यह मामला पश्चिमी देशों द्वारा अति-हस्तक्षेप (Overreach) का एक और उदाहरण है, जहां अमेरिका अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ऐसे फैसले लेता है, जो उसके महत्वपूर्ण सहयोगियों को कमजोर करते हैं.
इससे ना केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि यह उसके सहयोगियों को भी असमंजस में डालता है. दूसरी ओर, चीन और रूस बिना किसी बाधा के अपने आर्थिक, सैन्य और तकनीकी विकास को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. लेखक ने तीखे शब्दों में लिखा, 'बीजिंग में लोग इस पर हंस रहे होंगे'.


