भारत जाने की कोशिश कर रहे इस्कॉन भक्तों को बांग्लादेश ने रोका, क्या है असल वजह?
बांग्लादेश में इस्कॉन के 54 भक्तों को भारत जाने से रोक दिया गया, जबकि उनके पास वैध पासपोर्ट और वीजा थे. इमिग्रेशन अधिकारियों का कहना था कि इन भक्तों के पास "विशेष सरकारी अनुमति" नहीं थी, इसलिए उन्हें यात्रा की इजाजत नहीं दी गई. ये भक्त एक धार्मिक समारोह में भाग लेने के लिए भारत जा रहे थे. यह घटना बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े बढ़ते विवाद और गिरफ्तारी के बीच हुई है, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं. क्या सरकार इस पर ध्यान देगी? पढ़िए पूरी खबर!

Bangladesh: बांग्लादेश के इमिग्रेशन अधिकारियों ने 54 इस्कॉन भक्तों को भारत जाने से रोक दिया, जबकि उनके पास वैध पासपोर्ट और वीजा थे. यह घटना 1 नवंबर 2024 को बांगलादेश-भारत सीमा पर स्थित बेनापोल सीमा चौकी पर हुई. इमिग्रेशन पुलिस का कहना था कि भक्तों के पास "विशेष सरकारी अनुमति" नहीं थी, जिसके कारण उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं दी गई. ये भक्त एक धार्मिक समारोह में भाग लेने के लिए भारत जा रहे थे.
खास अनुमति की कमी
इस्कॉन के भक्त, जो बांग्लादेश के विभिन्न जिलों से आए थे, ने सीमा पर कई घंटे इंतजार किया, लेकिन अंततः उन्हें यह बता दिया गया कि बिना विशेष अनुमति के उनकी यात्रा मंजूर नहीं की जा सकती. हालांकि, इन भक्तों के पास सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा थे, फिर भी उन्हें भारत जाने से रोक दिया गया.
इस्लामिक बांग्लादेश में तलवारधारी कट्टरपंथियों द्वारा इस्कॉन भक्तों का सिर कलम करने की धमकी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।#BoycottBangladesh
कट्टरपंथी मुस्लिम खुलेआम Genocide of Hindus को प्रमोट कर रहे हैं जबकि भारत में सभी सेकुलरिज्म का बुर्का ओढ के बैठे हैं… pic.twitter.com/ouU3jwX2EJ
— श्रवण बिश्नोई (किसान) (@SharwanKumarBi7) December 1, 2024
सौरभ तपंदर चेरी नामक एक भक्त ने कहा, "हम भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने के लिए आए थे, लेकिन हमें बिना किसी स्पष्ट कारण के रोक लिया गया. यह घटना बांगलादेश में इस्कॉन के खिलाफ बढ़ते दबाव के बीच हुई है, खासकर पिछले हफ्ते एक हिंदू नेता की गिरफ्तारी के बाद.
गिरफ्तारी और हिंसा के बाद बढ़ा तनाव
बांग्लादेश में इस्कॉन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की शुरुआत 27 नवंबर को हुई, जब हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया. आरोप था कि दास और उनके समर्थकों ने चटगांव में एक रैली के दौरान बांगलादेशी ध्वज के ऊपर एक केसरिया झंडा फहराया था, जो बांगलादेशी अधिकारियों की नाराजगी का कारण बना. इसके बाद विरोध प्रदर्शन हुए, और हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं, जिनमें एक वकील की मौत हो गई.
इसके अलावा, बांगलादेशी अधिकारियों ने इस्कॉन से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया, जिससे तनाव और बढ़ गया. अब बांग्लादेश में इस्कॉन के अनुयायियों को अपने धार्मिक कार्यक्रमों के लिए मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं.
बढ़ते विवाद
इस्कॉन के खिलाफ हो रही इन कार्रवाईयों को लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं. भक्तों के आरोप हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध बढ़ता जा रहा है और सरकार उनके अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. हालांकि, बांगलादेशी अधिकारी इन घटनाओं के लिए किसी भी प्रकार के धार्मिक उत्पीड़न से इनकार करते हैं और इसे कानून और व्यवस्था से जोड़कर देख रहे हैं.
इस घटनाक्रम से साफ हो रहा है कि बांग्लादेश में इस्कॉन के भक्तों को अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आने वाले समय में इस मुद्दे पर क्या हल निकलेगा, यह देखने वाली बात होगी.


