मणिपुर में इंटरनेट पर पाबंदी 3 दिसंबर तक बढ़ी, 9 जिलों में सेवाएं निलंबित
मणिपुर में हिंसा की वजह से 16 नवंबर से 9 जिलों में मोबाइल इंटरनेट बंद है. ताजा आदेश में इस पाबंदी को 3 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है. मेइती समुदाय की महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद भड़की हिंसा ने माहौल और बिगाड़ दिया है. राज्य में जातीय तनाव और बढ़ते विवाद को लेकर हालात गंभीर बने हुए हैं. जानिए, आखिर सरकार के इस फैसले के पीछे की वजह क्या है और क्या इसका असर आम लोगों पर भी हो रहा है?

Manipur Violence: मणिपुर में पिछले कुछ समय से जातीय हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इसी वजह से राज्य के 9 जिलों में 16 नवंबर से मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं. ताजा आदेश के मुताबिक, अब यह पाबंदी 3 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है.
क्यों बढ़ाई गई इंटरनेट पाबंदी?
मणिपुर सरकार के गृह विभाग ने रविवार को एक आदेश जारी करते हुए इंटरनेट सेवाओं पर लगी रोक को 3 दिसंबर की शाम 5:15 बजे तक बढ़ाने का फैसला किया। राज्य में हालिया हिंसा के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। आदेश में कहा गया है कि वीपीएन और वी-सैट सेवाओं पर भी रोक जारी रहेगी।
किन जिलों में जारी है प्रतिबंध?
इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, काकचिंग, बिष्णुपुर, थौबल, चुराचांदपुर, कांगपोकपी, फेरजावल और जिरीबाम जिलों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लागू है। हालांकि, स्वास्थ्य और शैक्षणिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 19 नवंबर को ब्रॉडबैंड सेवाओं पर से रोक हटा दी गई थी।
हिंसा क्यों भड़की?
मणिपुर में हिंसा उस वक्त बढ़ गई जब मेइती समुदाय की तीन महिलाएं और तीन बच्चे 11 नवंबर को जिरीबाम जिले के एक राहत शिविर से लापता हो गए। बाद में उनके शव जिरी और बराक नदियों में बरामद हुए। इस घटना ने राज्य में तनाव को और बढ़ा दिया।
इससे पहले, सुरक्षा बलों और कुकी-जो उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ में 10 उग्रवादियों के मारे जाने की घटना भी विवादों में रही। कुकी-जो समुदाय का कहना है कि मारे गए लोग उग्रवादी नहीं थे।
मणिपुर में हिंसा का लंबा इतिहास
मणिपुर में मेइती और कुकी-जो समुदाय के बीच मई 2023 में जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर अब तक 250 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। राहत शिविरों में रह रहे लोगों को भी सुरक्षा की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार की चुनौती
इंटरनेट पाबंदी से राज्य सरकार को उम्मीद है कि अफवाहों और भड़काऊ संदेशों पर रोक लगेगी। हालांकि, आम लोगों को इससे कई परेशानियां हो रही हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मणिपुर की स्थिति गंभीर बनी हुई है। सरकार और सुरक्षा बलों के सामने शांति बहाल करना प्राथमिकता है, लेकिन जातीय तनाव और हिंसा की घटनाएं चुनौती पेश कर रही हैं। अब देखना होगा कि 3 दिसंबर के बाद हालात कैसे बदलते हैं।


