भारत-ब्रिटेन FTA समझौते से किसानों की बढ़ेगी इनकम या होगा घाटा? जानें सबकुछ यहां
कृषि के क्षेत्र में भारत वैश्विक मंच पर 36.63 अरब अमेरिकी डॉलर के उत्पादों का निर्यात करता है, जो उसकी समृद्ध खेती की ताकत को दर्शाता है. दूसरी ओर, ब्रिटेन हर साल 37.52 अरब अमेरिकी डॉलर की कृषि उपज आयात करता है.

India-UK FTA Agreement: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच गुरुवार को हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय किसानों को बड़े लाभ की उम्मीद है. इस समझौते के तहत, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों पर लगभग 95 प्रतिशत टैरिफ़ समाप्त कर दिए गए हैं, जिससे भारतीय कृषि उत्पादों के लिए ब्रिटेन का बाजार खुल गया है. इस नए समझौते के कारण भारतीय किसानों को ब्रिटेन में अपनी उपज के लिए प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने के अवसर मिलेंगे, जो भारतीय कृषि निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. यह समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच कृषि व्यापार को नया आयाम देने वाला है. भारतीय उत्पादों, जैसे कि चाय, आम, मसाले, कॉफ़ी, और समुद्री उत्पादों के लिए ब्रिटेन एक बड़ा और उभरता हुआ बाजार बन सकता है. ब्रिटेन के उच्च-गुणवत्ता वाले बाजार में भारतीय कृषि उत्पादों के लिए प्रतिस्पर्धा की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी. इससे भारतीय किसानों को यूरोपीय संघ (ईयू) के अन्य देशों के निर्यातकों के बराबर या उससे भी ज्यादा लाभ मिल सकता है.
क्या कृषि उत्पादों पर टैरिफ हटाने से निर्यात बढ़ेगा?
भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात में ब्रिटेन का हिस्सा अभी बहुत छोटा है, लेकिन इस समझौते के बाद इसे बढ़ने की पूरी संभावना है. वर्तमान में, भारत का ब्रिटेन को कृषि उत्पादों का निर्यात 81.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है, जबकि ब्रिटेन भारतीय बाजार से सिर्फ 37.52 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात करता है. इन आंकड़ों से यह साफ है कि भारतीय कृषि उत्पादों के लिए ब्रिटेन में उच्च मूल्य वाले बाजार के लिए बहुत बड़ी संभावना है.
भारतीय कॉफी और मसालों को मिलेगा बढ़ावा
ब्रिटेन में भारतीय कॉफ़ी और मसालों के निर्यात में भी वृद्धि होने की संभावना है. वर्तमान में, भारत की कॉफ़ी निर्यात में ब्रिटेन का योगदान मात्र 1.7 प्रतिशत है, जबकि मसालों में यह आंकड़ा 2.9 प्रतिशत है. व्यापार समझौते के बाद भारतीय इंस्टेंट कॉफी की मांग में बूम की संभावना, यूरोपीय प्रीमियम बाजार में तेजी से निर्यातकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बेहतर स्थिति में होगी.
कृषि उत्पादों के लिए शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच
इस समझौते के तहत, फल, सब्ज़ियाँ, अनाज, अचार, मसाला मिश्रण, फलों के गूदे, खाने के लिए तैयार भोजन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे कृषि उत्पादों पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा. इससे इन उत्पादों की लैंडिंग लागत में कमी आएगी, जिससे ब्रिटेन में इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ोतरी होगी. इसके परिणामस्वरूप, भारतीय किसानों को ब्रिटेन के बाजार में इन उत्पादों के लिए प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी. साथ ही, यह समझौता कटहल, बाजरा, सब्ज़ियां और जैविक जड़ी-बूटियों जैसे नए उत्पादों के लिए भी अवसर प्रदान करेगा, जिससे किसानों को अपने उत्पादों की विविधता बढ़ाने में मदद मिलेगी.
संवेदनशील कृषि क्षेत्रों की सुरक्षा
इस समझौते में भारत के कुछ संवेदनशील कृषि क्षेत्रों, जैसे डेयरी उत्पाद, सेब, जई और खाद्य तेल शामिल नहीं हैं. इन क्षेत्रों पर कोई टैरिफ रियायत नहीं दी जाएगी, ताकि भारतीय किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और घरेलू बाजार की स्थिरता बनी रहे. यह भारत की व्यापार रणनीति को दर्शाता है, जिसमें खाद्य सुरक्षा और घरेलू मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता दी जाती है.
नीली अर्थव्यवस्था को मिलेगा जोर
समझौते के तहत, भारत के समुद्री उत्पादों, विशेष रूप से झींगा, टूना, मछली का भोजन और चारा, के निर्यात पर 99 प्रतिशत शुल्क हटाए गए हैं. इस कदम से भारत के तटीय राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु के मछुआरों को विशेष लाभ मिलेगा. इससे भारतीय समुद्री उत्पादों का ब्रिटेन के बाजार में तेजी से प्रवेश होगा और भारतीय नीली अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद
इस समझौते के लागू होने से अगले तीन वर्षों में भारत के कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है. इसका मुख्य कारण भारतीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को शुल्क-मुक्त बाजार में पहुंच प्राप्त करना है. यह समझौता 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि-निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.


