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कोल्हापुरी से बनारसियों तक 'Brand India' को मिलेगी नई पहचान, ब्रिटेन के साथ FTA डील पर भारत को कैसे होगा फायदा?

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता पारंपरिक उत्पादों को वैश्विक बाज़ार में पहचान दिलाएगा. कोल्हापुरी चप्पलें, बनारसी वस्त्र जैसे उत्पाद अब ब्रिटेन में शुल्क मुक्त होंगे. इससे महिला उद्यमिता, रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा. यह समझौता भारतीय कारीगरों को सम्मान और 'ब्रांड इंडिया' को नई पहचान देगा.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

लंदन में भारत और ब्रिटेन के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) ने पारंपरिक भारतीय उत्पादों जैसे कोल्हापुरी चप्पलें, बनारसी और चंदेरी वस्त्र को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है. यह समझौता भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों को ब्रिटिश बाजार में रियायती दरों पर निर्यात की सुविधा देगा. खास बात यह है कि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं, जिससे यह समझौता लैंगिक समावेशन की दिशा में भी अहम साबित होगा.

प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में हुआ समझौता

इस व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए. अनुमान है कि इस समझौते से 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार दोगुना होकर 120 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.

महिला उद्यमियों को मिलेगा प्रोत्साहन

इस समझौते में भारत ने पहली बार लैंगिक समानता को व्यापारिक नीति में शामिल किया है. महिला उद्यमियों, व्यापार मालिकों और श्रमिकों को नए व्यापार अवसर प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. ब्रिटेन सरकार ने भी इसे एक ऐतिहासिक कदम मानते हुए कहा कि यह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा और व्यापार के ज़रिए लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा.

टैरिफ में बड़ी कटौती 

इस समझौते के तहत भारत अपने कई उत्पादों पर आयात शुल्क में 90 प्रतिशत तक कटौती करेगा, जिससे ब्रिटेन के उत्पादों पर लगने वाला औसत टैरिफ 15 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत रह जाएगा. इसके बदले में ब्रिटेन भारत से आने वाले अधिकांश उत्पादों को शुल्क मुक्त प्रवेश देगा, जिसमें बनारसी साड़ियाँ, चंदेरी कपड़े और कोल्हापुरी जैसे पारंपरिक जूते शामिल हैं.

भारतीय कारीगरों को मिलेगा सम्मान

यह समझौता केवल व्यापार ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा का भी कार्य करेगा. इससे भारतीय शिल्पकारों को वैश्विक स्तर पर उचित श्रेय और पारिश्रमिक मिलेगा, जो अब तक पश्चिमी फैशन उद्योग द्वारा उपेक्षित रहा है. हाल ही में प्रादा द्वारा कोल्हापुरी चप्पलों के डिज़ाइन के उपयोग का विवाद इसका उदाहरण है, जिसमें भारतीय विरासत को बिना श्रेय उपयोग किया गया.

आत्मनिर्भरता को मिलेगा बढ़ावा

यह समझौता महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, रोजगार सृजन और कारीगरों की आय वृद्धि में अहम भूमिका निभाएगा. इससे भारत श्रम-प्रधान उत्पादों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बन सकेगा और 'ब्रांड इंडिया' को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी.
 

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24 July 2025, 04:25 PM IST

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