तुम युद्धविराम तोड़कर तो देखो...,मिसाइलों की कर देंगे बारिश, हूतियों ने इजरायल को ललकारा
अब्दुल मलिक अल-हूती ने कहा कि उनका समूह गाजा में युद्ध विराम के समझौते को लेकर सतर्क है. उन्होंने कहा, "अगर इजरायली दुश्मन इस समझौते को तोड़ता है और युद्ध और नरसंहार की स्थिति पैदा करता है, तो हम भी अपनी ताकत का इस्तेमाल करेंगे." इसके साथ ही, हूतियों ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा.

Houthis challenged Israel: यमन के हूती विद्रोहियों ने इजरायल को गाजा में संघर्ष विराम को तोड़ने की स्थिति में गंभीर धमकी दी है. हूतियों के नेता अब्दुल मलिक अल-हूती ने चेतावनी दी है कि यदि इजरायल ने गाजा में फिर से हमला किया या सीजफायर तोड़ा, तो उनका समूह मिसाइलों की बारिश करने के लिए तैयार है. हूतियों ने पहले ही लाल सागर में इजरायल की नाकेबंदी कर दी है और इजरायल से जुड़े मालवाहक जहाजों पर हमले करने से बिल्कुल भी नहीं हिचक रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में हूतियों की मिसाइलें और ड्रोन इजरायल तक पहुंच चुके हैं.
अब्दुल मलिक अल-हूती ने कहा कि उनका समूह गाजा में युद्ध विराम के समझौते को लेकर सतर्क है. उन्होंने कहा, "अगर इजरायली दुश्मन इस समझौते को तोड़ता है और युद्ध और नरसंहार की स्थिति पैदा करता है, तो हम भी अपनी ताकत का इस्तेमाल करेंगे." इसके साथ ही, हूतियों ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा. ट्रंप ने कुछ दिन पहले हूतियों को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था. अब्दुल मलिक ने ट्रंप और अमेरिका के बारे में कहा कि "अमेरिका बुरा देश है जो दूसरे देशों को युद्ध में झोंकता है और उन्हें गुलाम बना देता है. अरब और मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि अमेरिका और ज़ायोनी शासन का अनुसरण करने से वे केवल उनके गुलाम बन जाएंगे."
अमेरिका के खिलाफ आक्रामक रणनीति
ट्रंप द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद, हूती विद्रोहियों ने अब अमेरिका के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपनाने की योजना बनाई है. इसमें विशेष रूप से बाब अल-मंडब जलडमरूमध्य से गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों पर हमले की कोशिश शामिल है. यह जलमार्ग अदन की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और एशिया और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है.
इजरायल के खिलाफ एक हाइब्रिड अभियान
इसके अलावा, इजरायल के खिलाफ एक हाइब्रिड अभियान में, हूतियों के साथ मिलकर लेबनान का हिजबुल्लाह, इराक में शिया लड़ाके और ईरान भी शामिल रहे हैं. इस अभियान ने इजरायल को मजबूर कर दिया कि वह अपनी वायु और मिसाइल रक्षा को दक्षिण में बढ़ाए, जिसके परिणामस्वरूप इजरायल का लाल सागर बंदरगाह ईलाट दिवालिया हो गया और इजरायली रक्षा बलों को गाजा से लेबनान मोर्चे पर सैनिकों को पुनः भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा.


