कुलीनतंत्र क्या है? क्या अमेरिका कुलीनतंत्र बनने की ओर अग्रसर है?
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने विदाई संबोधन में चेतावनी दी कि “अमेरिका में अत्यधिक धनबल, शक्ति और प्रभाव वाला एक कुलीनतंत्र (ओलिगार्की) आकार ले रहा है जो सचमुच हमारे पूरे लोकतंत्र के लिए खतरा है.’’

अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने विदाई संबोधन में चेतावनी दी कि “अमेरिका में अत्यधिक धनबल, शक्ति और प्रभाव वाला एक कुलीनतंत्र (ओलिगार्की) आकार ले रहा है जो सचमुच हमारे पूरे लोकतंत्र के लिए खतरा है.’’
इस टिप्पणी से पता चलता है कि राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में सार्वजनिक नीति को आकार देने वाले लोग नहीं बल्कि अरबपति होंगे. ‘ओलिगार्की’ सामाजिक संगठन का वह स्वरूप है जिसमें राजनीतिक शक्ति मुख्य रूप से धनवान अभिजात्य वर्ग के हाथों में होती है. निश्चित रूप से कुछ ऐसे साक्ष्य हैं जिनके आधार पर बाइडन की चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
दुनिया के सबसे अमीर आदमी और ‘एक्स’ के मालिक एलन मस्क रिपब्लिकन उम्मीदवार के मुखर समर्थक रहे हैं. वर्ष 2024 के चुनाव में जीत के बाद ट्रंप से मुलाकात करने वाले लोगों में मेटा के मार्क जुकरबर्ग, अमेजन के जेफ बेजोस, एप्पल के टिम कुक और गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई शामिल हैं.
कुलीनतंत्र क्या है?
आज भी हम जिन अनेक शैक्षणिक और वैज्ञानिक श्रेणियों का प्रयोग करते हैं, उनमें से कुलीनतंत्र को मूलतः यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने परिभाषित किया था. यदि संविधान भ्रष्ट हो गया और नेतृत्व ने केवल अपने स्वार्थ को आगे बढ़ाने के लिए काम किया तो अरस्तु ने उन्हें अत्याचार, कुलीनतंत्र और लोकतंत्र का नाम दिया. इसलिए अरस्तु के अनुसार कुलीनतंत्र एक भ्रष्ट शासन व्यवस्था है. यह तब होता है जब सत्ता कुलीन वर्ग के एक छोटे समूह के हाथों में होती है जो लोगों की भलाई के बजाय अपने हितों को आगे बढ़ाते हैं.
अरस्तु के शब्दों में, लोकतंत्र भी सरकार का एक भ्रष्ट रूप है जिसमें बहुमत अपनी शक्ति का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए करता है. जब अमेरिका का निर्माण हुआ, तो इसके संस्थापक सदस्यों ने सर्वोत्तम संविधान बनाने के लिए अरस्तु, पॉलीबियस, सिसरो और अन्य प्राचीन विचारकों की ओर देखा. अरस्तु की परंपरा का पालन करते हुए, उन्होंने एक मिश्रित संविधान तैयार करने का प्रयास किया. लेकिन उनकी शक्ति पर कांग्रेस और न्यायपालिका द्वारा नियंत्रण रखा जाता है, जिस पर मीडिया और अंततः नियमित चुनावों के माध्यम से जनता द्वारा नियंत्रण रखा जाता है.
आधुनिक कुलीनतंत्र
आधुनिक राजनीति में, कुलीन वर्ग शब्द का इस्तेमाल अक्सर रूसी संदर्भ में किया जाता है. वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद, अवसरवादी दिग्गजों ने ऊर्जा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों जैसी सरकारी संपत्तियों को खरीदकर बहुत ज्यादा धन कमाया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव भी मिला.
हालांकि, 2000 में व्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रपति बनने के बाद से रूस में निरंकुशता बढ़ती जा रही है. हालांकि अभी भी कुलीन वर्ग मौजूद है, लेकिन उनकी शक्ति पर लगाम लगाई गई है. उन्हें पुतिन की शक्ति या राज्य के लिए उनके दृष्टिकोण को चुनौती नहीं देनी चाहिए.
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बारे में क्या?
कुलीनतंत्र की आशंका के बारे में बाइडन की चेतावनी के बावजूद, राजनीतिक वैज्ञानिक मार्टिन गिलेंस और बेंजामिन पेज ने 2014 में तर्क दिया था कि अमेरिका पहले से ही एक कुलीनतंत्र है.
अमेरिका में उदार लोकतंत्र की सभी आवश्यक विशेषताएं मौजूद हैं (निष्पक्ष और नियमित चुनाव, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र प्रेस). लेकिन गिलेंस और पेज को चिंता थी कि बड़े व्यवसायों और संपन्न नागरिकों के एक छोटे समूह का नीति पर असंगत प्रभाव पड़ता है.
ऑस्ट्रेलिया में भी यह तर्क दिया जा सकता है कि कुलीनतंत्र या तो उभर रहा है या पहले ही स्थापित हो चुका है. ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था रूस के समान ही बड़ी है और अरबपतियों की सूची बढ़ती जा रही है, जिनका सरकारी नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव प्रतीत होता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अरबपतियों के पास बहुत ताकत और प्रभाव है. लेकिन यह अपने आप में कुलीनतंत्र नहीं है. अरस्तु के शब्दों में, कुलीनतंत्र की परिभाषित विशेषता यह है कि शासक अभिजात वर्ग अपनी स्थिति का उपयोग लोगों की भलाई के बजाय अपने निजी लाभ के लिए करता है.
इस खबर को जनभावना टाइम्स ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है.


