तड़का, छौंक और बघार एक है या अलग? जानिए इनके बीच का अंतर
सब्जियों और दालों को लाजवाब बनाने के लिए तड़का, छौंक और बघार जैसी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं. हालांकि, ज्यादातर लोग इन तीनों को एक ही समझते हैं, लेकिन वास्तव में ये एक-दूसरे से अलग हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

भारतीय रसोई की पहचान इसके अनूठे स्वाद और मसालों की महक में छिपी है. हर क्षेत्र का खाना अपने खास अंदाज और स्वाद के लिए मशहूर है. सब्जियों और दालों को लाजवाब बनाने के लिए तड़का, छौंक और बघार जैसी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं. हालांकि, ज्यादातर लोग इन तीनों को एक ही समझते हैं, लेकिन वास्तव में ये एक-दूसरे से अलग हैं. अगर आप भी इनके बीच का अंतर नहीं जानते, तो यह लेख आपके लिए है. आइए, समझते हैं कि तड़का, छौंक और बघार क्या हैं और कैसे ये आपके खाने को और स्वादिष्ट बनाते हैं.
तड़का: स्वाद और सुगंध का जादू
तड़का भारतीय खानपान की एक लोकप्रिय तकनीक है, जो व्यंजनों को रंग, स्वाद और सुगंध प्रदान करती है. इस प्रक्रिया में तेल या घी को गर्म करके उसमें जीरा, राई, हींग, लाल मिर्च, प्याज या लहसुन जैसे मसाले भूने जाते हैं. मसालों के अच्छी तरह भुनने के बाद इसमें सब्जी या दाल डालकर पकाया जाता है. तड़के का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मसालों की गहराई को खाने में मिला देता है. यह तकनीक खासतौर पर दाल, सांभर या सब्जियों में इस्तेमाल होती है. तड़के से व्यंजन न केवल स्वादिष्ट बनता है, बल्कि उसका रंग भी आकर्षक हो जाता है.
छौंक: हल्की आंच में उभरता स्वाद
छौंक तड़के से काफी मिलता-जुलता है, लेकिन इसमें तेल या घी को कम गर्म किया जाता है. इस प्रक्रिया में खड़े मसाले जैसे जीरा, सरसों, करी पत्ता या हींग को हल्की आंच पर भूना जाता है, ताकि मसालों की सुगंध तेल में अच्छी तरह घुल जाए. इसके बाद इस तेल को व्यंजन में मिलाया जाता है. छौंक का इस्तेमाल खासतौर पर उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में होता है. यह तकनीक दाल, कढ़ी और कुछ सब्जियों में स्वाद को बढ़ाने के लिए बेहद कारगर है. छौंक की खासियत यह है कि यह व्यंजन को हल्का और सुगंधित बनाता है.
बघार: दक्षिण भारतीय व्यंजनों की शान
बघार दक्षिण भारत की रसोई का एक अनमोल हिस्सा है. इस प्रक्रिया में गर्म तेल या घी में मसालों को भूनकर उसे सीधे पके हुए व्यंजन पर डाला जाता है. इससे खाने में मसालों का कुरकुरापन, सुनहरा रंग और तीव्र सुगंध आती है. बघार का उपयोग खासतौर पर सांभर, रसम और अन्य दक्षिण भारतीय व्यंजनों में किया जाता है.
क्या है इनमें अंतर?
समय का अंतर: तड़का और छौंक में मसाले भूनने के बाद व्यंजन को उसमें डाला जाता है, जबकि बघार को पके हुए व्यंजन के ऊपर डाला जाता है.
तेल का तापमान: छौंक में तेल को हल्का गर्म किया जाता है, जबकि तड़का और बघार में तेल को अधिक गर्म करना पड़ता है.
क्षेत्रीय उपयोग: तड़का पूरे भारत में प्रचलित है, छौंक उत्तर और पूर्वी भारत में ज्यादा लोकप्रिय है और बघार दक्षिण भारत की खासियत है.
स्वाद बढ़ाने का सही तरीका
तड़का, छौंक और बघार का सही उपयोग आपके खाने को एक नया आयाम दे सकता है. अगली बार जब आप दाल, सब्जी या सांभर बनाएं, तो इन प्रक्रियाओं का सही तरीके से उपयोग करें. सही मसाले, सही तापमान और सही समय के साथ आप अपने व्यंजनों को रेस्तरां जैसा स्वाद दे सकते हैं.


