आयुर्वेदिक आहार: सेहतमंद जीवनशैली की ओर एक पारंपरिक कदम
स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए आयुर्वेदिक आहार एक आदर्श विकल्प हो सकता है. ये हजारों वर्षों पुरानी भारतीय चिकित्सा प्रणाली सिर्फ शरीर नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलित करने का मार्ग दिखाती है.

यदि आप स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए किसी प्राचीन और संतुलित पद्धति की तलाश में हैं, तो आयुर्वेद एक आदर्श विकल्प हो सकता है. यह हजारों वर्षों पुरानी भारतीय चिकित्सा प्रणाली सिर्फ शरीर नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलित करने का मार्ग दिखाती है. अपोलो आयुर्वेद हॉस्पिटल्स की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. ज़ंखाना एम बुच ने बताया कि आयुर्वेदिक सिद्धांतों को दैनिक जीवन और खान-पान में कैसे अपनाया जा सकता है.
खाने के तरीकों पर जोर
डॉ. बुच के अनुसार, आयुर्वेद सिर्फ खाने की चीज़ों पर नहीं, बल्कि खाने के तरीकों पर भी जोर देता है. आज के बुफे कल्चर को वह असंतुलित और पाचन के लिए हानिकारक मानती हैं. एक ही समय पर गर्म-ठंडा, खट्टा-मीठा या भारी-हल्का भोजन लेने से पाचन तंत्र पर असर पड़ता है और शरीर की प्राकृतिक अग्नि यानी मेटाबॉलिज्म गड़बड़ा जाता है.
आयुर्वेद में 12 सुनहरे नियम बताए गए हैं जैसे ताजा और गर्म भोजन करना, असंगत चीज़ों को साथ न खाना, ध्यानपूर्वक और शांत माहौल में खाना और खाने के बाद शरीर को विश्राम देना. यह दृष्टिकोण भोजन को सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि शरीर को संतुलित और स्वस्थ बनाए रखने का साधन मानता है.
दिन की शुरुआत हल्के और गर्म नाश्ते के साथ
डॉ. बुच के अनुसार, दिन की शुरुआत हल्के और गर्म नाश्ते से होनी चाहिए ताकि पाचन अग्नि धीरे-धीरे जागे. दोपहर का भोजन दिन का सबसे भारी और संतुलित होना चाहिए, जिसमें सभी छह स्वाद शामिल हों. वहीं रात का भोजन हल्का, गर्म और जल्दी करना चाहिए ताकि शरीर को विश्राम और रिकवरी का समय मिल सके.


