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Kanya Pujan: कन्या पूजन के क्या हैं नियम और सही उम्र, जानें कब और कैसे करें

Kanya Pujan: शारदीय नवरात्रि 2025 में अष्टमी (30 सितंबर) और नवमी (1 अक्टूबर) को कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिसमें कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन व उपहार अर्पित किए जाते हैं.

Kanya Pujan: शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है. नौ दिनों तक व्रत रखने वाले भक्त अंतिम दिन कन्या पूजन और हवन के साथ व्रत का पारण करते हैं. मान्यता है कि कन्या पूजन करने से साधक को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

इस साल शारदीय नवरात्रि का समापन 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा, जब भक्त अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करेंगे. शास्त्रों के अनुसार, कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर भोजन और उपहार अर्पित किए जाते हैं. इस परंपरा को निभाने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और घर में वैभव का वास होता है.

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

शास्त्रों में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष फलदायी बताया गया है. कई लोग अष्टमी पर व्रत पारण करते हैं, जबकि कुछ नवमी को कन्या पूजन और हवन के बाद व्रत पूर्ण करते हैं. परंपरा है कि इस दिन सात, नौ या ग्यारह कन्याओं को भोजन कराने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है.

अष्टमी और नवमी तिथि का समय

पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 29 सितंबर, सोमवार को शाम 4:33 बजे से शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 6:08 बजे तक रहेगी. इसके बाद नवमी तिथि 30 सितंबर को शाम 6:08 बजे से शुरू होकर 1 अक्टूबर, बुधवार को शाम 7:03 बजे समाप्त होगी.

कन्या पूजन के नियम

  • नवरात्रि के नौ दिनों में किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि को यह विशेष फलदायी माना जाता है.

  • कन्या पूजन में 9 कन्याएं मां दुर्गा के नौ स्वरूप मानी जाती हैं. अगर सभी 9 कन्याएं उपलब्ध न हों, तो 3, 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन कराया जा सकता है.

  • कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी भोजन कराना चाहिए, जिसे बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है.

  • शास्त्रों के अनुसार, 2 से 10 वर्ष तक की बालिकाओं को पूजन में शामिल किया जाना चाहिए.

  • परंपरा है कि कन्याओं को भोजन के साथ जीरा या चावल कपड़े में बांधकर भेंट करना चाहिए. इसे घर में समृद्धि का कारक माना जाता है.

कन्या पूजन की सही विधि

  1. जब कन्याएं घर आएं तो उनका स्वागत फूल-मालाओं से करें और उन्हें साफ-सुथरे आसन पर बैठाएं.

  2. उनके पैर पखारें और आलता से सजाएं.

  3. इसके बाद रोली और अक्षत से तिलक करें और हो सके तो उन्हें लाल रंग की चुनरी भेंट करें.

  4. कन्याओं को पूड़ी, चना और हलवे का भोजन परोसें.

  5. भोजन के बाद अपनी क्षमता अनुसार उन्हें उपहार दें.

  6. सभी कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें और देवी स्वरूप मानकर अगले साल फिर आने का निमंत्रण दें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. JBT News इसकी पुष्टि नहीं करता.)

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29 September 2025, 02:52 PM IST

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