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फूलों से लेकर लट्ठमार तक, मथुरा-वृंदावन की ये 5 होलियां आपको कर देंगी मंत्रमुग्ध!

5 Special Holi Celebrations: मथुरा और वृंदावन की होली अपने अनोखे और भव्य आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है. यहां खेली जाने वाली होली दुनिया भर में मशहूर है. आज हम आपको वृंदावन के 5 खास होली के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे खेलने के लिए कोने-कोने से लोग पहूंचते हैं. बता दें कि भगवान कृष्ण की समृद्ध परंपराओं से सराबोर दो शहरों मथुरा और वृंदावन में होली का जश्न इस उत्सव को एक नए स्तर पर ले जाता है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

5 Special Holi Celebrations: होली का त्योहार भारत में पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन जब बात मथुरा और वृंदावन की होली की होती है, तो इसकी रंगत और भी निराली होती है. यह दोनों शहर भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हैं, जिसके कारण यहां की होली पूरे देश में सबसे अनूठी और भव्य मानी जाती है. यहां फूलों से लेकर लट्ठमार तक, कई विशेष परंपराएं देखने को मिलती हैं, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. आइए जानते हैं मथुरा-वृंदावन की 5 अनोखी होली परंपराओं के बारे में.  

1. फूलों की होली

वृंदावन में होली की शुरुआत फूलों की होली से होती है, जिसे ‘फूलों वाली होली’ कहा जाता है. यह विशेष आयोजन बांके बिहारी मंदिर में होता है, जहां गुलाल या रंगों के बजाय रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा होती है. मंदिर परिसर भक्ति गीतों, संगीत और जयकारों से गूंज उठता है. यह अनुभव भक्तों के लिए आध्यात्मिक और दिव्य आशीर्वाद की तरह होता है.  

2. लट्ठमार होली  

बरसाना की लट्ठमार होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इस परंपरा के अनुसार, महिलाएं हाथ में लाठी लेकर पुरुषों पर प्रतीकात्मक रूप से प्रहार करती हैं, जबकि पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं. यह परंपरा श्रीकृष्ण और राधा के गांवों की प्रेम-लीलाओं से जुड़ी हुई है. इस दौरान पूरा वातावरण लोकगीतों, हंसी-मजाक और उल्लास से भर जाता है, जिससे यह अनुभव बेहद खास बन जाता है. 

3. विधवाओं की होली

वृंदावन में एक अनूठी परंपरा के तहत विधवाओं के लिए भी होली मनाने की विशेष व्यवस्था की जाती है. पहले समाज में विधवाओं के लिए रंगों से दूर रहने की परंपरा थी, लेकिन अब यह रूढ़ि टूट चुकी है. इस दिन वृंदावन में विधवाएं सफेद वस्त्र छोड़कर रंग-बिरंगे कपड़े पहनती हैं, गुलाल उड़ाती हैं और भजन-कीर्तन करती हैं. यह होली समाज में बदलाव और समानता का संदेश देती है.  

 4. रंगभरी होली – 

मथुरा में होली की असली धूम रंग पंचमी के दिन देखने को मिलती है. इस दिन पूरा मथुरा रंगों, गुलाल, पानी की बौछारों और उत्सव के रंग में डूब जाता है. यहां गलियों में निकलने वाले भव्य जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस दिन को और भी खास बना देते हैं. यह वह दिन होता है जब भक्त, श्रद्धालु और पर्यटक एक साथ रंगों की बारिश में डूब जाते हैं.  

5. नंदगांव की होली  

नंदगांव, जहां भगवान कृष्ण अपने पालक माता-पिता नंद बाबा और यशोदा मैया के साथ बड़े हुए, वहां की होली भी बहुत खास होती है. इस दिन गांव में बड़ी धूमधाम से होली खेली जाती है और कृष्ण के बाल लीलाओं का मंचन किया जाता है. यह होली बरसाना की होली के मुकाबले थोड़ा शांत होती है, लेकिन भक्ति और उमंग में किसी से कम नहीं होती.  

क्यों जाएं मथुरा-वृंदावन की होली देखने?  

अगर आप होली के असली रंग और कृष्ण भक्ति की झलक देखना चाहते हैं, तो मथुरा और वृंदावन का रुख जरूर करें. यहां की अनोखी परंपराएं, भव्य आयोजनों की रौनक और भक्तिभाव से ओत-प्रोत माहौल आपको जीवनभर के लिए यादगार अनुभव देगा. 

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12 March 2025, 09:22 AM IST

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