क्या है महाप्रसाद? पुरी के जगन्नाथ मंदिर में रोज़ाना चढ़ते हैं 56 व्यंजन
महाप्रसाद या छप्पन भोग वह दिव्य परंपरा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ को रोज़ाना आठ बार 56 तरह के विशिष्ट व्यंजन अर्पित किए जाते हैं.

पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में प्रतिदिन जो भोग अर्पित किया जाता है, वह 'महाप्रसाद' या 'छप्पन भोग' के नाम से जाना जाता है. इसे दिन में आठ बार भगवान को अर्पित किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से दो समय 'मध्याह्न धूप' और 'संध्या धूप' को विशेष महत्व दिया जाता है.
आठ बार भोजन कराने का संकल्प
इस परंपरा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत लीला से जुड़ी है. कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर व्रजवासियों को प्रलयकारी वर्षा से बचाया तब मां यशोदा ने उनकी सेवा में प्रतिदिन आठ बार भोजन कराने का संकल्प लिया. यह परंपरा बाद में महाप्रसाद के रूप में विकसित हुई.
महाप्रसाद केवल एक भोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है. इसे तैयार करने वाले सेवकों की भक्ति और पवित्रता इसे और भी दिव्य बना देती है. यह भोजन न केवल भगवान को समर्पित होता है, बल्कि श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जिससे यह और भी पुण्यदायी माना जाता है.
प्रसाद में 56 प्रकार के व्यंजन
इस प्रसाद में 56 प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जो ओडिशा की पारंपरिक रसोई का परिचय कराते हैं. इनमें दही बरा, डालमा, खीरी, ककड़ी खट्टा, पोड़ा पिठा, छेनापोडा, रसाबलि, मालपुआ, अंबा खट्टा और कणिका जैसे व्यंजन शामिल हैं. प्रत्येक व्यंजन भगवान की भक्ति और ओड़िया संस्कृति की गहराई को दर्शाता है.
इंस्टाग्राम पर सृष्टिका श्रीराम की एक रील के माध्यम से महाप्रसाद की महिमा और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को सरल भाषा में बताया गया है, जिससे आज की पीढ़ी इस दिव्य परंपरा से जुड़ सके. ऐसा विश्वास है कि महाप्रसाद का सेवन करने से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि भगवान जगन्नाथ का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.


