युवा क्यों चुन रहे हैं शुक्राणु और अंडे फ्रीज करना? जानें IVF का क्या है खतरा?
आजकल देर से मां बनने का चलन बढ़ रहा है, जिसके कारण प्रेगनेंसी संबंधी काफी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. एसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि 40 की उम्र में IVF पर पूरी तरह निर्भर रहना पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए खतरा साबित हो सकता है.

Fertility Awareness: तेज-तर्रार और लक्ष्य केंद्रित जीवनशैली में आज का युवा वर्ग परिवार की बजाय करियर, वित्तीय स्थिरता और आत्म-विकास को प्राथमिकता दे रहा है. मिलेनियल्स और जेनरेशन जेड के बीच यह सोच नई आजादी और सशक्तिकरण का प्रतीक बन गई है, लेकिन इस सोच के साथ एक जैविक हकीकत भी जुड़ी है, जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है. लेकिन IVF विशेषज्ञों के अनुसार 30 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं और जोड़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो प्रेगनेंसी में काफी कठिनाई का सामना कर रहे हैं.
उम्र का प्रेगनेंसी पर प्रभाव
डॉक्टर के अनुसार महिलाओं में फर्टिलाइजेशन क्षमता 30 की उम्र के बाद गिरने लगती है और 35 के बाद गिरावट तेज हो जाती है. 40 की उम्र तक प्राकृतिक रूप से प्रेगनेंसी की संभावना बेहद कम हो जाती है और गर्भपात या क्रोमोजोम संबंधी विकृति का खतरा काफी बढ़ जाता है. आईवीएफ जैसी तकनीकों के ज़रिए समाधान तो मिलता है, लेकिन यह कोई गारंटीशुदा उपाय नहीं होता, विशेष रूप से उन मामलों में जहां अंडों की उम्र अधिक हो. पुरुषों के मामले में भी उम्र शुक्राणुओं की गुणवत्ता और डीएनए की स्थिति को प्रभावित करती है, जिससे संतानोत्पत्ति की क्षमता पर असर पड़ता है.
भ्रम फैलाती पॉप संस्कृति और सोशल मीडिया
सोशल मीडिया और मशहूर हस्तियों की 40 की उम्र के बाद प्रेगनेंसी की कहानियों ने युवाओं के बीच फर्टिलाइजेशन की एक काल्पनिक छवि गढ़ दी है. लोग सोचते हैं कि अगर सेलिब्रिटी कर सकते हैं तो हम भी कर सकते हैं, लेकिन वे यह नहीं समझते कि इन मामलों में गहन चिकित्सा सहायता ली जाती है. युवाओं को यह जानने की ज़रूरत है कि उनकी प्रजनन क्षमता कैसे काम करती है, कौन-से कारक उसे प्रभावित करते हैं और उनके पास क्या विकल्प मौजूद हैं. जैसे अंडाणु फ्रीज करना या शुरुआती जांच.
प्रेगनेंसी नॉलेज बेहद अनिवार्य है
प्रेगनेंसी नॉलेज को स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए. यह केवल महिलाओं तक सीमित विषय नहीं है, बल्कि सभी लिंगों के लिए समान रूप से जरूरी है. इसका उद्देश्य है लोगों को उनके प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देकर उन्हें सशक्त बनाना ताकि वे अपने भविष्य को लेकर बेहतर निर्णय ले सकें, चाहे वे संतान चाहते हों या नहीं. नियमित फर्टिलाइजेशन जांच जैसे महिलाओं में एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) टेस्ट या पुरुषों में वीर्य विश्लेषण, व्यक्ति को यह जानने में मदद कर सकते हैं कि उनकी स्थिति क्या है और आगे की योजना कैसी होनी चाहिए.


