माथे पर बिंदी क्यों लगाती हैं महिलाएं? क्या है इसके पीछे की वजह? जानिए..
बिंदी का महत्व केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि इसका सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पक्ष भी उतना ही अहम है. इसे महज सौंदर्य बढ़ाने का साधन मानना ठीक नहीं होगा, क्योंकि इस प्राचीन हिंदू परंपरा के पीछे गहराई से जुड़ा हुआ वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी मौजूद है.

भारतीय परंपरा में महिलाओं का माथे पर बिंदी लगाना एक सामान्य परिपाटी है, जो न केवल उनकी सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि इसके पीछे गहरे सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं. बिंदी को अक्सर एक फैशन स्टेटमेंट समझा जाता है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा है.
बिंदी का भारतीय परंपराओं में महत्व
'बिंदी' शब्द संस्कृत के 'बिंदु' से लिया गया है. जहां बिंदी लगाई जाती है भारतीय परंपराओं में आध्यात्मिक महत्व रखता है. इसे 'तीसरा नेत्र' भी कहा जाता है, जो ज्ञान और अंतर्ज्ञान का केंद्र माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माथे पर बिंदी लगाना एक व्यक्ति के आंतरिक और ईश्वरीय शक्ति से जुड़ाव को व्यक्त करता है.
इस बिंदु को अजना कहा जाता है, जिसे शरीर का ऊर्जा केंद्र माना जाता है. प्राचीन काल में बिंदी लगाना एक ऐसा तरीका था जिससे व्यक्ति ईश्वर से अपने संबंध को स्वीकार करता था. यह सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे तिलक इसी स्थान पर लगाते थे.
इसके अलावा, बिंदी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. विवाहित महिलाएं इसे अपनी वैवाहिक स्थिति को दर्शाने के लिए लगाती हैं. यह उनके लिए एक आवश्यक परंपरा है.
स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव
आध्यात्मिक लाभ के अलावा, बिंदी लगाने से स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. माथे के बीच में बिंदी लगाने से उस स्थान पर दबाव पड़ता है, जो एक्यूप्रेशर प्वाइंट के रूप में कार्य करता है. यह सिरदर्द, तनाव और साइनस जैसी समस्याओं में राहत दिलाता है. कुछ पारंपरिक बिंदियों में कुमकुम, चंदन और हल्दी जैसे पदार्थ होते हैं, जिनके औषधीय गुण भी त्वचा के लिए फायदेमंद हो सकते हैं.


