माघ पूर्णिमा कब है जानिए इस दिन की क्या है खास विशेषताएं

माघ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन की खास विशेषता हैं पूर्णिमा के दिन नदी या तलाब में जाकर स्नान करने का विधान है। इस बार की माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को मनाया जाएगा। माघ महीने की शुरुआत हो चुकी हैं। अब इंतजार माघ पूर्णिमा की है। वैसे तो हर पूर्णिमा की अपनी खास महत्ता है। इस दिन पूजा पाठ, स्नान दान का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन सभी देवतागण पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आते है।

Deeksha Parmar
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माघ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन की खास विशेषता हैं पूर्णिमा के दिन नदी या तलाब में जाकर स्नान करने का विधान है। इस बार की माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को मनाया जाएगा। माघ महीने की शुरुआत हो चुकी हैं। अब इंतजार माघ पूर्णिमा की है। वैसे तो हर पूर्णिमा की अपनी खास महत्ता है। इस दिन पूजा पाठ, स्नान दान का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन सभी देवतागण पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आते है।

माघी पूर्णिमा की शूभ मुहूर्त और पूजा विधि

माघी पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करने का नियम हैं यदि गंगा स्नान संभव न हो तो पानी में भी गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते है। स्नान करते समय नरायण मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलेगा,स्नान के बाद पीतल या तांबे के पात्र में तील, कुमकुम, अक्षत, गुड़ डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। उसके बाद सूर्य देव की विधिवत पूजा आरती करके भोग लगाए हो सके तो इस दिन सूर्य देव की उपासना भी करें।

शुभ मुहूर्त- हिन्दू पंचांग के अनुसार माघी पूर्णिमा शनिवार 4 फरवरी रात 9 :29 बजे से शुरु होगी जो रविवार रात 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। माघ पूर्णिमा की विशेषता माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति मघा नक्षत्र के नाम से हुई है। ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन सभी देवी-देवता मनुष्य का रूप धारण करके पृथ्वी पर आते हैं और प्रयाग राज में स्नान करके जाप करते हैं। इसलिए माघ पूर्णिमा के दिन प्रयाग राज में भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है। इस दिन गंगा जी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। यह परंमपरा सदियों से प्रयागराज में चली आ रही हैं।

प्रयागराज में लगता है मेला

प्रयागराज में माघी पूर्णिमा के दिन मेला लगता है जहां देश- विदेश से श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने आते है। इस दिन को कल्पवास के नाम से भी जाना जाता है। कल्पवास का अर्थ होता है धर्य, अंहिसा और भक्ती इसलिए इस दिन संगम के तट पर वेदों का ध्यान करना उचित माना गया है।

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02 February 2023, 05:31 PM IST

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