शरीर पर चिता की राख, नागा साधु ने बताया कैसे करते हैं भूतों पर कंट्रोल
Naga Sadhu Secrets: महाकुंभ 2025 के अवसर पर बड़ी संख्या में नागा संन्यासी एकत्रित हुए हैं. इस आयोजन के दौरान, कई नए नागा संन्यासियों को दीक्षा भी दी जा रही है. नागा संन्यासी अपने रहस्यमय जीवन से जुड़े कई पहलुओं को साझा कर रहे हैं. इन पहलुओं में सबसे दिलचस्प है उनका भभूत (चिता की राख) और भूतों पर नियंत्रण का रहस्य. आइए जानते हैं कि कैसे ये नागा संन्यासी भूतों को नियंत्रित करते हैं और चिता की राख के पीछे का रहस्य क्या है.

Naga Sadhu Secrets: महाकुंभ 2025 में इस समय नागा संन्यासियों की एक विशाल संख्या मौजूद है, जहां न केवल साधु संत अपने अनुभवों को साझा कर रहे हैं, बल्कि नए नागा संन्यासियों को भी दीक्षा दी जा रही है. इस आयोजन में कई रहस्यमय और अद्भुत परंपराओं का खुलासा हो रहा है, जिनमें से एक है चिता की राख (भभूत) और भूतों पर नियंत्रण की रहस्यमय कला. नागा संन्यासी ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला है. आइए जानते हैं कि चिता की राख और भूतों पर नियंत्रण का यह रहस्य क्या है.
नागा संन्यासी ने बताया कि भभूत के लिए चिता की राख का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण और दिव्य प्रक्रिया का हिस्सा है. इस राख को श्मशान से लिया जाता है और फिर उसे मंत्रों से अभिमंत्रित करके शरीर पर लगाया जाता है. इसके बाद, यह भभूत व्यक्ति की आत्मा और व्यक्तित्व को परिवर्तित करने का कार्य करता है. नागा संत का कहना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से वे भगवान भोलेनाथ के निकट होते हैं और भूतों पर नियंत्रण रखते हैं.
चिता की राख से जुड़ा रहस्य
भभूत बनाने के लिए चिता की राख का उपयोग किया जाता है. जब यह किसी भी श्मशान की चिता की राख हो सकती है. राख को इकट्ठा करने के बाद, उसे विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता है, और फिर इसे शरीर पर लगाया जाता है. नागा संन्यासी का कहना था कि भभूत हमारे अन्य लोगों से अलग पहचान होती है. यह हमें दर्शाता है कि हम इस दुनिया में हैं, लेकिन हमारा जीवन बाकी सामान्य लोगों से अलग है.
भोलेनाथ के भक्त और भूतों पर नियंत्रण
नागा संन्यासी ने अपने बारे में बताया, "हम भगवान भोलेनाथ के भक्त हैं और भस्म (भभूत) भोलेनाथ को प्रिय है." उनका कहना था कि श्मशान में भूतों का समुदाय रहता है, और इन भूतों के स्वामी भगवान भोलेनाथ हैं. नागा संन्यासी ने यह भी बताया कि उनके चिंतन और पूजा से वे भोलेनाथ के समान हो गए हैं. "भगवान की पूजा करते-करते भक्त अपने भगवान जैसा ही बन जाता है. यह भस्मी (भभूत) भोलेनाथ का वस्त्र है. इसे धारण करके हम उनके साथ होते हैं."
भूतों पर करते हैं कंट्रोल
नागा संन्यासी ने स्पष्ट किया, "हम लोग किसी के कंट्रोल में नहीं रहते, हम अपने ही कंट्रोल में रहते हैं." भूतों पर नियंत्रण के सवाल पर उन्होंने कहा, "भोलेनाथ की शक्तियां हमारे अंदर भी काम करती हैं, और इसलिए हम भूतों पर नियंत्रण रखते हैं." उनका यह भी दावा था कि भूतों का समुदाय आम लोगों से डरता है और उनके सामने हाथ जोड़ता है, जबकि आम लोग भूतों से परेशान होकर उनके सामने सिर झुका देते हैं.
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