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क्या महाकाल ने दिया आपदा का इशारा? महाकालेश्वर मंदिर से बड़ा संकेत, जानिए पुजारी ने क्या कहा

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में तेज हवाओं के कारण शिखर पर लगा सोने का ध्वज गिर गया, लेकिन इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ. पुजारी महेश शर्मा ने इसे असामान्य बताया कि महाकाल के रहते कोई अनिष्ट नहीं हो सकता, श्रद्धालुओं को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में एक ऐसी घटना घटित हुई, जब तेज हवाओं के कारण मंदिर के शिखर पर लगा सोने का ध्वज गिर गया. इस घटना ने मंदिर प्रशासन और भक्तों के बीच चर्चा का नया विषय खड़ा कर दिया है. हालांकि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन इसे लेकर श्रद्धालुओं के बीच तरह-तरह की बातें सुनने को मिल रही हैं. इस घटना से मंदिर प्रशासन की व्यवस्था और सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं.

ये घटना नोतपा के दौरान हुई, जब मौसम में अचानक बदलाव के कारण तेज हवा और आंधी-तूफान जैसी स्थिति बन गई थी. ध्वज का गिरना ना केवल भक्तों के लिए चिंताजनक था, बल्कि ये महाकाल के प्रति आस्था को लेकर भी कई सवालों को जन्म दे रहा था.

ध्वज गिरने की घटना

ये घटना करीब दो-तीन दिन पहले की बताई जा रही है, जब उज्जैन में तेज हवाओं के कारण आंधी-तूफान जैसी स्थिति बनीं. संभवतः इसी कारण ध्वज ढीला हो गया और शिखर से गिर पड़ा. महाकाल मंदिर का ये सोने का ध्वज सालों से भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक था. घटना के समय मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे, जिनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने तुरंत उस स्थान को खाली करवा लिया और ध्वज को सुरक्षित स्थान पर रख लिया.

पुजारी महेश शर्मा ने किया स्पष्टीकरण

मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने इस घटना को लेकर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ये घटना वास्तव में असामान्य है और धार्मिक दृष्टिकोण से चिंता का विषय है. परंपरा के अनुसार, गिरा हुआ ध्वज फिर से शिखर पर लगाया जाएगा. इसके लिए शिखर पर मचान बांधकर ध्वज को पुनः स्थापित किया जाएगा. हालांकि, महाकाल स्वंय मृत्यु के काल हैं और उनके रहते कोई भी अनिष्ट नहीं हो सकता. इसलिए श्रद्धालु चिंता ना करें, क्योंकि महाकाल के दर्शन से सभी संकट समाप्त हो जाते हैं.

पुजारी महेश शर्मा ने आगे ये भी कहा कि महाकाल कालों के काल हैं और वे सभी विपत्तियों को दूर करने वाले हैं. इसलिए, इस घटना को अनिष्ट मानने की कोई आवश्यकता नहीं है. श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे भक्ति भाव से पूजन, पाठ और ध्यान करें.

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02 June 2025, 07:45 PM IST

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