लड्डू गोपाल की स्थापना से पहले जानें ये अहम नियम, कहीं करना दें बड़ी भूल
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की स्थापना एक खास धार्मिक परंपरा है. लेकिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को घर में स्थापित करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है. आइए जानते हैं लड्डू गोपाल स्थापना से जुड़े जरूरी नियम और सावधानियां.

Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भक्ति और उल्लास का प्रतीक है. इस पावन अवसर पर भगवान लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना विशेष श्रद्धा और विश्वास के साथ की जाती है. कई भक्तजन इस दिन या उसके बाद लड्डू गोपाल की मूर्ति को अपने घर में स्थापित कर भगवान की कृपा पाने की कामना करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि लड्डू गोपाल की स्थापना के लिए कुछ खास नियम और शास्त्रीय निर्देश होते हैं, जिनका पालन न करने पर न केवल पूजा अधूरी रह जाती है, बल्कि घर की सुख-शांति पर भी असर पड़ सकता है?
अगर आप इस जन्माष्टमी पर या जन्माष्टमी के बाद लड्डू गोपाल को स्थायी रूप से घर में विराजमान करने का सोच रहे हैं, तो पहले इन जरूरी बातों को जानना बेहद आवश्यक है. यह केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि वास्तु और परंपरा का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है. आइए जानें, लड्डू गोपाल की स्थापना से जुड़ी वे महत्वपूर्ण बातें जिनका ध्यान रखना हर भक्त के लिए आवश्यक है.
लड्डू गोपाल की स्थापना के लिए सही दिशा कौन सी?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, लड्डू गोपाल की मूर्ति को घर में उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करना शुभ माना जाता है. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती है और देवी-देवताओं की उपस्थिति का प्रतीक है. यदि मूर्ति को इस दिशा में रखा जाए, तो पूजा का प्रभाव अधिक होता है और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है. इसके विपरीत, यदि मूर्ति को किसी गलत दिशा में रखा जाए तो पूजा का लाभ कम हो सकता है.
लड्डू गोपाल की पहचान बांसुरी और मोरपंख
भगवान श्रीकृष्ण की विशेषता उनकी बांसुरी और मोरपंख से होती है. इसलिए लड्डू गोपाल की मूर्ति के साथ लकड़ी की बांसुरी जरूर रखें और उनके माथे पर मोरपंख का मुकुट लगाएं. ऐसा करने से न केवल भगवान प्रसन्न होते हैं, बल्कि घर में सुख-शांति और सौभाग्य का संचार होता है. मोरपंख का इस्तेमाल शुभता का प्रतीक माना जाता है और इसे भगवान के मुखरूप पर रखना आवश्यक है.
रोजाना करें लड्डू गोपाल की सेवा
लड्डू गोपाल को केवल एक मूर्ति नहीं बल्कि घर के एक सदस्य के रूप में मानना चाहिए. इसलिए रोजाना उनकी सेवा करें. माखन और मिश्री का भोग अर्पित करें क्योंकि श्रीकृष्ण को ये चीजें अत्यंत प्रिय हैं. इसके अलावा, उनके वस्त्र बदलना, जल चढ़ाना और मूर्ति की सफाई करना भी जरूरी होता है. इससे भगवान की कृपा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद घर पर सदैव बना रहता है.
लड्डू गोपाल को अकेले न रखें
श्रीकृष्ण के बिना राधा अधूरे माने जाते हैं. इसलिए जहां भी लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करें, वहां राधा रानी की मूर्ति भी अवश्य होनी चाहिए. दोनों की जोड़ी पूजा में पूर्णता और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है. साथ ही इससे घर पर दोनों की कृपा बनी रहती है और सुख-शांति का वास होता है.
यूं न छोड़ें मूर्ति
यदि किसी कारणवश आप पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो मूर्ति को बिना सेवा के न छोड़ें. ऐसी स्थिति में मूर्ति की सफाई करके एक साफ कपड़े में लपेट कर सुरक्षित स्थान पर रखें या किसी योग्य व्यक्ति को सौंप दें. मूर्ति का सीधे विसर्जन करना अंतिम विकल्प होना चाहिए, क्योंकि इसे अपशिष्ट वस्तु नहीं बल्कि देवत्व का प्रतीक माना जाता है.
लड्डू गोपाल को समझें घर का हिस्सा
लड्डू गोपाल की स्थापना के बाद नियमित पूजा करना आवश्यक हो जाता है. ये सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि आपके घर के भगवान बन जाते हैं. उनकी सेवा उसी प्रकार करें जैसे आप घर के छोटे बच्चों का ध्यान रखते हैं. उनकी पूजा और सेवा से घर में सकारात्मकता, खुशहाली और सुख-शांति बनी रहती है.
Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता है.


