Navratri Day 7: देवी कालरात्रि की आराधना से दूर होंगे सारे संकट, जानें व्रत कथा और आरती
Navratri Day 7: आज नवरात्रि का सातवां दिन है जो मां कालरात्रि के दिव्य स्वरूप को समर्पित है. इस दिन भक्त माता कालरात्रि की भक्ति में डूबकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. मां कालरात्रि का स्वरूप शक्ति और साहस का प्रतीक है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है. इस पावन दिन पर मां कालरात्रि की कथा का पाठ अवश्य करें, जो भक्तों के मन में श्रद्धा और उत्साह जगाती है.

Navratri Day 7: शारदीय नवरात्रि का इस वर्ष 22 सितंबर से शुरू हुआ, जिसका समापन 2 अक्टूबर को विजयदशमी के दिन होगा. नवरात्रि के सातवें दिन यानी सप्तमी को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाले संकट, शत्रु और नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं. उनका विकराल रूप दुष्टों के लिए भयावह है लेकिन अपने भक्तों के लिए यह स्वरूप अत्यंत कल्याणकारी और शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है.
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी कालरात्रि की उपासना से साधक को ज्ञान, शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है. यह माना जाता है कि देवी की साधना से मनुष्य को जीवन के तमाम कष्टों से छुटकारा मिलता है और उसे आत्मिक बल की प्राप्ति होती है. भक्तों को इस दिन मां की पूजा के साथ उनकी व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए.
व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार असुर शुंभ-निशुंभ के सहयोगी रक्तबीज को वरदान प्राप्त था कि उसके शरीर से गिरने वाली रक्त की प्रत्येक बूंद से एक नया रक्तबीज जन्म लेगा. इस कारण देवताओं के लिए उसका वध असंभव हो गया था. जब रक्तबीज का अत्याचार असहनीय हो गया, तब देवी-देवताओं ने मां दुर्गा से सहायता की प्रार्थना की. मां दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को प्रकट किया, जिनका स्वरूप अत्यंत भयानक था और जिनकी सांसों से अग्नि निकलती थी. युद्ध के दौरान मां कालरात्रि ने अपनी जिह्वा से रक्तबीज के रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही पी लिया, जिससे उसकी कोई रक्तबूंद पृथ्वी पर नहीं गिरी. इस प्रकार रक्तबीज का अंत हुआ और साथ ही चंड, मुंड, शुंभ और निशुंभ जैसे दैत्यों का भी विनाश हुआ.
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी भक्त प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय.
नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मां कालरात्रि की उपासना से न केवल भय दूर होता है बल्कि साधक के जीवन में शुभता, ऊर्जा और विजय का मार्ग भी प्रशस्त होता है. सप्तमी के दिन की गई पूजा, व्रत कथा और आरती अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


