कौन-सा व्रत बदल सकता है किस्मत? प्रेमानंद महाराज ने बताया
प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. वायरल वीडियो में भक्त विनम्रता से प्रेमानंद महाराज से पूछते हैं कि ऐसा कौन-सा तप या कौन-सा व्रत किया जाए, जिससे भगवान प्रसन्न हों.

हिंदू धर्म में व्रत, उपवास और तपस्या का विशेष आध्यात्मिक महत्व बताया गया है. माना जाता है कि व्रत न केवल शरीर और मन को शुद्ध करते हैं, बल्कि साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और मनोवांछित फल भी आकर्षित करते हैं. इसी संदर्भ में प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. इस वीडियो में एक भक्त उनसे ऐसा प्रश्न पूछता है, जो हर अध्यात्म-प्रेमी के मन में किसी न किसी समय अवश्य उठता है.
भक्त का प्रश्न- कौन-सा व्रत भगवत कृपा दिलाए?
वायरल वीडियो में भक्त विनम्रता से प्रेमानंद महाराज से पूछते हैं कि ऐसा कौन-सा तप या कौन-सा व्रत किया जाए, जिससे भगवान प्रसन्न हों और जीवन की सभी इच्छाएं पूरी होती चली जाएं. यह प्रश्न न केवल भक्त की जिज्ञासा था, बल्कि उन सभी लोगों की भी आवाज है जो आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ना चाहतें हैं.
महाराज ने इस सवाल का उत्तर बेहद सरल, सहज और गूढ़ आध्यात्मिकता के साथ दिया. उनका यह जवाब किसी भी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है.
प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन
महाराज ने भक्त के प्रश्न के उत्तर में दो विशेष व्रतों की महिमा बताई और साथ ही एक ऐसी साधना का उल्लेख किया, जिसे वे सबसे प्रभावशाली आध्यात्मिक अभ्यास मानते हैं.
1. एकादशी का व्रत
महाराज ने सबसे पहले एकादशी व्रत का उल्लेख किया.
1. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है.
2. एकादशी का उपवास शरीर को हल्का और मन को शांत बनाता है.
3. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत साधक की आत्मा को शुद्ध करता है और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है.
2. सोमवार का व्रत
उन्होंने दूसरा महत्वपूर्ण व्रत सोमवार का बताया, जो भगवान शिव को समर्पित है.
1. भगवान शिव को संहारक और कल्याणकारी दोनों रूपों में पूजा जाता है.
2. सोमवार का व्रत करने से साधक को कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और जीवन में इच्छित फलों की प्राप्ति होती है.
सबसे बड़ा तप — नाम जाप
व्रतों के साथ प्रेमानंद महाराज ने जिस साधना को सबसे प्रभावशाली बताया, वह है भगवान का नाम-जाप.
1. केवल व्रत कर लेने से पूर्ण फल नहीं मिलता.
2. जब तक व्यक्ति ईश्वर के नाम का जाप नहीं करता, तब तक मन का चित्त शुद्ध नहीं हो सकता.
3. नाम-जाप मन को शांत करता है, आंतरिक शक्ति बढ़ाता है और साधक को सीधे ईश्वर से जोड़ देता है.


