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पीरियड्स के दौरान आखिर क्यों नहीं धो सकते हैं बाल, जानें इसके पीछे की असली वजह

पुराने समय में महिलाओं के स्वास्थ्य और आराम को ध्यान में रखते हुए पीरियड्स के दौरान कुछ नियम बनाए गए थे. इन नियमों का उद्देश्य न केवल महिलाओं को शारीरिक और मानसिक आराम प्रदान करना था, बल्कि उन्हें अनजाने खतरों से बचाना भी था. हालांकि आज की आधुनिक महिलाएं इन परंपराओं को अक्सर पुराने विचारों से जोड़ती हैं, लेकिन इन परंपराओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आइए जानें...

Ritu Sharma
Edited By: Ritu Sharma

Dadi-Nani Ki Baatein: दादी-नानी की सलाहें जीवन की गहराई और अनुभवों का खजाना होती हैं. उनकी बातें कभी-कभी अजीब या पुरानी लग सकती हैं, लेकिन इनमें छिपा विज्ञान और शास्त्रीय दृष्टिकोण हमारी भलाई के लिए होता है. माहवारी (पीरियड्स) के दौरान बाल न धोने की सलाह भी इन्हीं परंपराओं में से एक है. आइए समझते हैं इसके पीछे का तर्क और शास्त्र का दृष्टिकोण...

दादी-नानी और उनकी सलाह की महत्ता

आपको बता दें कि जिस तरह पीपल का वृक्ष छाया देता है और तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर होती है, उसी तरह दादी-नानी की बातें हमें अनजाने खतरों से बचाने का काम करती हैं. भारतीय समाज में माहवारी को लेकर कई धारणाएं और परंपराएं हैं, जो प्राचीन समय से चली आ रही हैं. इनमें से कुछ परंपराएं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी जुड़ी हैं.

पीरियड्स में बाल धोने की मनाही

वहीं आपको बता दें कि पीरियड्स के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में तापमान बढ़ा हुआ रहता है. इस समय सिर धोने से शरीर का तापमान तेजी से गिर सकता है, जिससे सर्दी-जुकाम, सिरदर्द या कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यह सलाह इसलिए दी जाती है ताकि महिलाओं का शरीर अचानक तापमान परिवर्तन के झटके से बच सके. इसके अलावा, पीरियड्स के दौरान शरीर पहले से ही कमजोर स्थिति में होता है और ठंडे पानी से स्नान करने से यह कमजोरी और बढ़ सकती है.

क्या कहता है शास्त्र?

बता दें कि ज्योतिषियों के अनुसार, माहवारी के दौरान महिलाएं धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ से दूर रहती हैं. यह परंपरा शरीर की शुद्धि से जुड़ी है. माहवारी खत्म होने के बाद स्नान और बाल धोना शास्त्रों में शुद्धि का प्रतीक माना गया है. बाल न धोने का एक अन्य कारण यह भी है कि माहवारी के दौरान महिलाएं अधिक विश्राम कर सकें, क्योंकि यह समय उनके शरीर के लिए विशेष देखभाल का होता है.

आधुनिक दृष्टिकोण में पुरानी परंपरा

इसके अलावा आपको बता दें कि आज के आधुनिक युग में दादी-नानी की बातें कुछ लोगों को मिथक लग सकती हैं. हालांकि, इनमें छिपा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और स्वास्थ्य के प्रति चिंता सराहनीय है. यह सलाह महिलाओं को सेहतमंद रखने और उनकी ऊर्जा बनाए रखने के लिए दी जाती थी.

बहरहाल, पीरियड्स के दौरान बाल न धोने की सलाह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक प्रयास है. चाहे इसे शास्त्र से जोड़ें या विज्ञान से, दादी-नानी की इन बातों में हमारे भले के लिए छिपा संदेश जरूर होता है. इसे समझें और खुद को स्वस्थ रखें.

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12 December 2024, 05:40 PM IST

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