आज का पंचांग: भौम प्रदोष व्रत के साथ अखण्ड द्वादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, राहुकाल और पूजा का समय
हिन्दू पंचांग तो सदियों से हमारी जिंदगी का खास हिस्सा रहा है. जैसे हमारे पूर्वजों का बनाया हुआ स्मार्ट कैलेंडर पंचांग पांच + अंग = पांच अंगों वाला.मतलब ये कोई साधारण कैलेंडर नहीं, बल्कि एक पूरा सिस्टम है जिसमें समय को पांच खास चीजों से समझाया जाता है:

नई दिल्ली: आज का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. एक ओर भौम प्रदोष व्रत का पावन योग बन रहा है, तो दूसरी ओर अखंड द्वादशी का शुभ अवसर भी है. श्रद्धालु आज भगवान शिव की आराधना कर प्रदोष व्रत का पालन करेंगे, वहीं द्वादशी तिथि का पारण भी किया जाएगा. ज्योतिष गणना के अनुसार आज गंडमूल भी लग रहा है, जो रात्रि 8:52 मिनट तक रहेगा. साथ ही राहुकाल का समय अपराह्न 3:00 बजे से सायं 4:30 बजे तक रहेगा, जिसमें किसी भी शुभ कार्य से परहेज किया जाना चाहिए.
हिंदू पंचांग के अनुसार 2 दिसंबर को 3:57 PM पर त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होकर 3 दिसंबर को 12:25 PM तक रहेगी. मान्यता है कि जिस दिन प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि व्याप्त होती है, उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. आज के दिन भरणी नक्षत्र और वरीयान योग का संयोग भी बन रहा है.
पंचांग के अनुसार आज का दिन
02 दिसंबर, मंगलवार शक संवत्: 11 मार्गशीर्ष (सौर) 1947, पंजाब पंचांग: 17 मार्गशीर्ष मास प्रविष्टे 2082, इस्लाम: 10 जमादि-उल्सानी 1447, विक्रमी संवत्: मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी तिथि अपराह्न 3:58 मिनट तक रहेगी. आज भरणी नक्षत्र, वरीयान योग रात्रि 9:08 मिनट तक, उसके बाद परिघ योग लागू होगा. चंद्रमा पूरे दिन-रात मेष राशि में विराजमान रहेगा. सूर्य दक्षिणायन में, दक्षिण गोल में स्थित रहेगा. वर्तमान ऋतु- हेमंत.
शुभ मुहूर्त
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ब्रह्म मुहूर्त: 05:07 AM – 06:02 AM
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प्रातः संध्या: 05:35 AM – 06:56 AM
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अभिजित मुहूर्त: 11:48 AM – 12:29 PM
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विजय मुहूर्त: 01:53 PM – 02:34 PM
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गोधूलि मुहूर्त: 05:18 PM – 05:46 PM
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सायाह्न संध्या: 05:21 PM – 06:43 PM
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अमृत काल: 02:23 PM – 03:49 PM
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निशीथ मुहूर्त: 11:42 PM – 12:36 AM (3 दिसंबर)
राहुकाल
आज राहुकाल अपराह्न 3:00 बजे से सायं 4:30 बजे तक रहेगा. इस अवधि में किसी भी मांगलिक कार्य या नए कार्यारंभ से बचने की सलाह दी जाती है.
व्रत-त्योहार
आज का भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर है. जिस दिन प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि रहती है, उसी दिन इस व्रत को सर्वोत्तम माना जाता है. आज भरणी नक्षत्र व वरीयान योग के साथ यह व्रत और अधिक फलदायी माना जा रहा है.


