बंगाल की खाड़ी से उठी ब्रह्मोस की गर्जना, दूर बैठे दुश्मनों को चेतावनी भारत अब तीन गुना तेज वार करेगा
भारतीय सेना ने बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल लॉन्च किया। यह परीक्षण बेहद सटीक रहा और इससे साबित हुआ कि भारत लंबी दूरी पर भी विनाशकारी हमला कर सकता है।

New Delhi: भारतीय सेना ने आज बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का कॉम्बैट लॉन्च किया। मिसाइल ने सीधा लक्ष्य भेदते हुए अपनी सटीकता साबित की। परीक्षण दक्षिणी कमांड की ब्रह्मोस यूनिट और अंडमान-निकोबार कमांड के साथ मिलकर किया गया। यह टीम ट्राई-सर्विसेज ऑपरेशंस संभालती है, यानी इसमें थल, जल और वायु सेना तीनों की भागीदारी होती है। इस सफलता ने भारत की तकनीकी ताकत को साबित किया। सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार यह केवल एक टेस्ट नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश है।
कितनी तेज है यह घातक मिसाइल?
ब्रह्मोस की बड़ी खासियत इसकी रफ्तार है। यह आवाज की गति से करीब तीन गुना तक उड़ सकती है, जिसे मैक-3 कहा जाता है। इतनी तेज उड़ान पर भी मिसाइल लक्ष्य से नहीं चूकती। उन्नत गाइडेंस सिस्टम हर सेकंड दिशा नियंत्रण में मदद करता है। सेना का कहना है कि इतनी गति पर हमला करना दुनिया की चुनिंदा मिसाइलों की क्षमता है। दुश्मनों को प्रतिक्रिया का समय भी नहीं मिलेगा। यही इसे युद्ध क्षेत्र में गेम-चेंजर बनाता है।
क्या भारत ने लंबी दूरी पर हमला साबित किया?
लॉन्च के दौरान मिसाइल ने अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन किया। सेना ने पुष्टि की कि टेस्ट पूरी तरह सफल रहा। लंबी दूरी के हमलों में यह अत्यधिक सटीक है। इससे भारत की डिफेंस रेंज और मजबूत हुई है। यह प्रहार जमीन, समुद्र या आकाश से किया जा सकता है। अब भारत उन देशों में शामिल हो चुका है, जिनके पास इतने शक्तिशाली हथियार हैं। भविष्य की रक्षा तैयारी के लिए यह अहम कदम है।
क्या यह परीक्षण सैन्य आत्मनिर्भरता की निशानी है?
कहना है कि परीक्षण ने भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का संकेत दिया है। मिसाइल तकनीक में भारतीय वैज्ञानिकों का रोल बहुत अहम रहा। यह दिखाता है कि भारत विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रहना चाहता। भारत-रूस की संयुक्त तकनीक से बने ब्रह्मोस को कई बार अपडेट किया जा चुका है। अब इसे देश में तैयार करने की क्षमता हासिल कर ली गई है। यह रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया की सफलता का बड़ा उदाहरण बना है।
किसने मिलकर इस मिशन को पूरा किया?
यह ऑपरेशन दक्षिणी कमांड द्वारा अंडमान-निकोबार कमांड के समर्थन से अंजाम दिया गया। अंडमान-निकोबार कमांड भारत का एकमात्र ट्राई-सर्विसेज बेस है। वहां से जमीन, समुद्र और हवा तीनों से निगरानी और हमला संभव है। इसी वजह से परीक्षण को रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सेना ने इसे पूर्ण समन्वय में अंजाम दिया। अधिकारियों का कहना है कि यह परीक्षण युद्ध जैसी स्थिति को ध्यान में रखकर किया गया।
दुश्मनों पर क्या असर पड़ सकता है?
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह लॉन्च पड़ोसी देशों को साफ संदेश देता है। तेज गति और सटीक प्रहार से दुश्मन के ठिकाने नष्ट किए जा सकते हैं। इससे भारत की स्ट्राइक कैपेबिलिटी कई गुना बढ़ी है। विरोधी अब भारत की मिसाइल क्षमता को हल्के में नहीं ले पाएंगे। यहाँ तक कि कुछ विशेषज्ञों ने इसे "प्रे-एम्पटिव अटैक सिस्टम" कहा है। मिशन की सफलता ने भारतीय रणनीतिक शक्ति का स्तर विश्व पटल पर ऊँचा किया है।
क्या भारत अब वैश्विक मिसाइल पावर बन रहा है?
सफल परीक्षण के बाद भारत ने लंबी दूरी पर सटीक हमला करने की योग्यता दुनिया के सामने रख दी है। यह संदेश भी दिया कि भारत केवल रक्षात्मक नहीं बल्कि जरूरत पड़े तो आक्रामक भी हो सकता है। ब्रह्मोस ने अपने प्रदर्शन से भारत को सुपरसोनिक मिसाइल देशों की सूची में काफी ऊपर ला खड़ा किया। सेना ने कहा कि यह लॉन्च भविष्य के संघर्षों के लिए तैयारी का संकेत है। देश में इसे लेकर गहरी संतुष्टि जताई जा रही है। अब भारत मिसाइल तकनीक में विश्व शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।


