Vijaya Ekadashi 2025: 23 या 24 कब है विजया एकादशी? जानें कैसे रखें व्रत
Vijaya Ekadashi: विजया एकादशी का व्रत हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस बार तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि कुछ पंचांग 23 फरवरी, तो कुछ 24 फरवरी को एकादशी का दिन मान रहे हैं. आइए जानते हैं विजया एकादशी 2025 की सटीक तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत से जुड़ी खास बातें.

Vijaya Ekadashi: हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है, और फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. इस बार विजया एकादशी की तिथि को लेकर श्रद्धालु असमंजस में हैं, क्योंकि कुछ पंचांग 23 फरवरी को तिथि मान रहे हैं, जबकि कुछ के अनुसार व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. ऐसे में सही तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं.
अगर पंचांग की गणना देखें, तो फाल्गुन कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 फरवरी को दोपहर 01:55 बजे हो रहा है और यह तिथि 24 फरवरी को दोपहर 01:44 बजे समाप्त होगी. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, उदयातिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी 2025 को रखा जाएगा.
विजया एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त
-
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05:11 से 06:01 तक
-
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:29 से 03:15 तक
-
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:15 से 06:40 तक
-
निशिता मुहूर्त – रात 12:09 से 12:59 तक
विजया एकादशी का महत्व
सनातन धर्म में विजया एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से साधक को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और भगवान विष्णु की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं. इस व्रत से व्यापार में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. विशेष रूप से फाल्गुन मास की विजया एकादशी का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस व्रत से समस्त पापों का नाश होता है और साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
विजया एकादशी पर व्रत विधि और पूजा-पाठ
श्रद्धालु इस दिन उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं. व्रत रखने वाले को सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर पूजा करनी चाहिए. इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ और श्री हरि की आराधना करने से विशेष फल प्राप्त होता है.
विजया एकादशी व्रत में क्या खाएं?
-
फलाहार – केला, सेब, अनार, अंगूर, नारियल, पपीता, अमरूद आदि.
-
सूखे मेवे – बादाम, अखरोट, किशमिश, मखाना, खजूर.
-
दुग्ध उत्पाद – दूध, दही, छाछ, पनीर, मावा.
-
साबूदाना – साबूदाने की खिचड़ी या खीर.
-
कुट्टू और सिंघाड़े का आटा – इनका पराठा, पूरी या हलवा.
-
सेंधा नमक – साधारण नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग.
-
शकरकंद और आलू – उबले या हल्के तले आलू और शकरकंद.
-
गुड़ और शहद – मिठास के लिए गुड़ और शहद का उपयोग.
विजया एकादशी पर क्या न खाएं?
-
अनाज और दालें – चावल, गेहूं, जौ, मूंग, मसूर आदि.
-
लहसुन और प्याज – तामसिक भोजन वर्जित.
-
मसालेदार और तली-भुनी चीजें – अधिक मसालेदार और तेलयुक्त भोजन से बचें.
-
मांसाहार और शराब – किसी भी प्रकार का मांस, अंडा या नशीले पदार्थ का सेवन न करें.
-
साधारण नमक – सेंधा नमक के अलावा अन्य नमक न लें.
-
अन्न से बनी मिठाइयाँ – मावा, बेसन, आटे या सूजी से बनी मिठाइयाँ न खाएं.
विजया एकादशी व्रत रखने से जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और साधक को शुभ फल प्राप्त होता है.
Disclaimer: ये स्टोरी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


