उत्तर से लेकर दक्षिण तक, जानें भारत में कहां कैसे मनाई जाती है वसंत पंचमी?
Basant Panchami 2025: वसंत पंचमी का त्योहार भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व देशभर में विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है, जहां लोग पीले कपड़े पहनते हैं, पतंग उड़ाते हैं और मां सरस्वती की पूजा करते हैं. इस दिन को विशेष रूप से छात्र, कलाकार और भक्तों द्वारा श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

Basant Panchami 2025: वसंत पंचमी का त्योहार भारत में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्यौहार न सिर्फ विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा का प्रतीक है, बल्कि यह वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में भी मनाया जाता है. पूरे देश में इसे विभिन्न पारंपरिक तरीकों से मनाया जाता है. जहां एक ओर उत्तर भारत में यह पर्व खासतौर पर सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है, वहीं पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में इसके आयोजन के तरीके भी अनूठे हैं. इस दिन लोग पीले कपड़े पहनते हैं, पतंग उड़ाते हैं और विशेष व्यंजन बनाते हैं.
आज रविवार को बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रयागराज में तो इसका महत्व दोगुना हो गया है, क्योंकि यहां महाकुंभ भी चल रहा है. लाखों लोग अमृत स्नान के लिए संगम पर पहुंचे हैं, और कल से इसे विशेष महत्व दिया जाएगा. आइए जानते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में वसंत पंचमी को किस प्रकार मनाया जाता है.
उत्तर भारत में वसंत पंचमी का महत्व
प्रयागराज समेत उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में वसंत पंचमी का पर्व बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और विशेष रूप से छात्र-छात्राएं अपनी किताबों और कलम को सरस्वती माता के चरणों में अर्पित करते हैं. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब में लोग पीले कपड़े पहनकर पूजा करते हैं और पतंगबाजी की परंपरा का भी पालन करते हैं. यहां के लोग वसंत के आगमन की खुशी में विशेष तरह के पकवानों का भी आनंद लेते हैं.
हिमाचल प्रदेश में वसंत पंचमी
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में वसंत पंचमी का त्योहार एक विशेष रूप से मनाया जाता है. यहां पर भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. इस दिन, भरत मिलाप की प्रथा का पालन भी किया जाता है. कुल्लू में वसंत पंचमी के दिन हर साल मेला लगता है और यहां के लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं.
पश्चिम बंगाल में सरस्वती पूजा का उत्सव
पश्चिम बंगाल में वसंत पंचमी का पर्व मुख्य रूप से सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन, छात्र, कलाकार और भक्त अपनी श्रद्धा से देवी सरस्वती की पूजा करते हैं. लड़कियां पीली साड़ी और लड़के धोती-कुर्ता पहनते हैं. इस दिन पूजा में बेल के पत्ते, गेंदा, पलाश और गुलदाउदी के फूलों का उपयोग किया जाता है. इसके बाद, शाम को देवी सरस्वती की मूर्ति का विसर्जन जल निकायों में किया जाता है और इस अवसर पर भव्य जुलूस निकाला जाता है.
पंजाब और हरियाणा में पतंगबाजी का उत्सव
पंजाब और हरियाणा में वसंत पंचमी का त्यौहार खासतौर पर पतंगबाजी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन, लोग आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते हैं और यह प्रतियोगिता का रूप ले लेती है. स्कूल की लड़कियां गिद्दा नृत्य भी करती हैं और इस दिन खिचड़ी, मीठे चावल, सरसों का साग और मक्के की रोटी जैसी पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं. वसंत पंचमी को मनाने के इस तरीके से पूरे इलाके में रंग-बिरंगी खुशियाँ बिखर जाती हैं.
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में वसंत पंचमी की विविधता
महाराष्ट्र में वसंत पंचमी के दिन लोग शिव और पार्वती की पूजा करते हैं, जो इस उत्सव की धार्मिक विविधता को दर्शाता है. इस दिन, विद्यार्थी अपनी पढ़ाई की शुरुआत करते हैं और लोग पीले वस्त्र पहनकर देवी सरस्वती की पूजा करते हैं. वहीं, दक्षिण भारत में भी इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, पतंग उड़ाते हैं और पारंपरिक मिठाइयों का स्वाद लेते हैं.
उत्तराखंड और बिहार में वसंत पंचमी की पारंपरिक पूजा
उत्तराखंड में वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पलाश के फूल, पत्ते और लकड़ी अर्पित की जाती है. इस दिन कुछ लोग देव महादेव और मां पार्वती की पूजा भी करते हैं. वहीं, बिहार में वसंत पंचमी के दिन लोग स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनते हैं और माथे पर हल्दी का तिलक लगाते हैं. इस दिन मां सरस्वती की पूजा बड़े श्रद्धा से की जाती है और लोग लोक गीत गाते और नृत्य करते हैं.


