जगन्नाथ मंदिर में तीसरी सीढ़ी पर पैर क्यों नहीं रख सकते है? क्या है इसके पीछे का रहस्य
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में एक रहस्यमयी तीसरी सीढ़ी है, जिस पर पैर रखने से पुण्य नष्ट हो जाता है. ये मान्यता यमराज से जुड़ी एक पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें कहा गया कि दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखने से श्रद्धालु को यमलोक जाना पड़ता है.

उड़ीसा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमयी मंदिरों में से एक है, जो भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है. ये मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़े कई रहस्यों और चमत्कारों ने इसे एक ऐसी जगह बना दिया है जहां श्रद्धालु और पर्यटक हमेशा आकर्षित होते हैं. इन्हीं रहस्यों में से एक है इस मंदिर की तीसरी सीढ़ी, जिस पर पैर रखने की सख्त मनाही है. इस सीढ़ी से जुड़ी पौराणिक कथा और इसके पीछे की रहस्यमयी वजह आज भी लोगों के मन में उत्सुकता पैदा करती है.
जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म के 4 प्रमुख धामों में से एक है और इसे बैकुंठ के समान माना जाता है. कहते हैं कि यहां भगवान श्री कृष्ण की पूजा से श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति मिलती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर की तीसरी सीढ़ी के बारे में एक दिलचस्प मान्यता भी है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे?
तीसरी सीढ़ी और यमराज की रहस्यमयी कथा
जगन्नाथ मंदिर के पौराणिक महत्व को समझने के लिए हमें एक दिलचस्प कथा की ओर रुख करना होगा. कहते हैं कि एक दिन यमराज भगवान जगन्नाथ के पास आए और बोले- हे भगवान, आपने दर्शन के माध्यम से पापों से मुक्ति का इतना सरल तरीका बताया है, जिससे लोग बिना यमलोक गए अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं. यमराज की बात सुनकर भगवान श्री जगन्नाथ ने उन्हें सलाह दी कि वे मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करें, जिसे यम शिला कहा जाएगा. भगवान ने कहा कि जो भी मेरे दर्शन के बाद उस पर पैर रखेगा, उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाएंगे और उसे यमलोक जाना पड़ेगा.
क्यों नहीं रखना चाहिए तीसरी सीढ़ी पर पैर?
जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते वक्त श्रद्धालुओं को सीढ़ियों पर पैर रखना होता है, लेकिन दर्शन के बाद लौटते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से बचना चाहिए. ये सीढ़ी बाकी सीढ़ियों से अलग है और इसका रंग काला है. मान्यता के अनुसार, अगर कोई श्रद्धालु इस सीढ़ी पर पैर रखता है तो उसकी सभी पूजा-पाठ और पुण्य समाप्त हो जाते हैं. मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन विशेष ध्यान इस तीसरी सीढ़ी पर दिया जाता है, क्योंकि इसका संबंध सीधे तौर पर पुण्य और पाप से जुड़ा हुआ है.
जगन्नाथ मंदिर के अन्य रहस्यमयी तथ्य
जगन्नाथ मंदिर केवल अपनी तीसरी सीढ़ी के कारण ही रहस्यमयी नहीं है, बल्कि इसके साथ और भी कई रहस्यों का संबंध है:
पक्षियों का ना उड़ना: इस मंदिर के ऊपर से कभी कोई पक्षी नहीं उड़ता. ये एक रहस्य बना हुआ है, जिसका आज तक कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल पाया.
मंदिर की छाया का ना होना: जगन्नाथ मंदिर की छाया कभी नहीं दिखती, चाहे सूरज की रौशनी कितनी भी तेज क्यों ना हो.
विपरीत दिशा में लहराता झंडा: मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा विपरीत दिशा में लहराता है, जो एक और रहस्यमयी घटना है.
समुद्र की लहरों की आवाज का ना सुनाई देना: मंदिर के भीतर प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती, जबकि मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और Jbt.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.