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भाई वाह, वैज्ञानिकों ने समंदर में खोज निकाला 'एक संसार', अब खुलेंगे कई राज

वैज्ञानिकों ने प्रशांत महासागर में रहस्यमयी धब्बों की उत्पत्ति की खोज की है. ऐसा अनुमान है कि इनका निर्माण लगभग 4 बिलियन वर्ष पहले हुआ होगा. यह धरती के पहले मेंटल के विकास के दौरान बनी क्रस्ट से बने हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

वैज्ञानिकों की नई खोज ने धरती के भीतर एक अज्ञात और रहस्यमयी दुनिया का पर्दाफाश किया है. यह खोज किसी दूसरे ग्रह या अंतरिक्ष की दुनिया से नहीं, बल्कि पृथ्वी की गहराई से संबंधित है. स्विट्ज़रलैंड के वैज्ञानिकों ने प्रशांत महासागर में स्थित एक अजीब तरह के धब्बों की पहचान की है, जिन्हें वे 'डूबी हुई दुनिया' के रूप में संदर्भित कर रहे हैं.

प्राचीन निर्माण का अनुमान

इन धब्बों के निर्माण का अनुमान लगभग 4 बिलियन वर्ष पुराना बताया जा रहा है, जो धरती के पहले मेंटल निर्माण के समय हुआ होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, जब पृथ्वी का पहला मेंटल बना था, उसी समय इसके क्रस्ट का भी निर्माण हुआ होगा. हालांकि, वैज्ञानिक इन धब्बों के बारे में किसी भी पक्की जानकारी से इंकार कर रहे हैं और उनका मानना है कि यह संरचनाएं धरती के भीतर पिछले कुछ सौ मिलियन वर्षों में हुए घने पदार्थ के निर्माण का परिणाम हो सकती हैं.

नई तकनीक से मिली सफलता

यह खोज खास तौर पर भूकंपीय डेटा और नई तकनीकी विधियों का उपयोग कर की गई. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के आंतरिक हिस्से का उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल बनाने के लिए भूकंपीय तरंगों का फायदा उठाया. इसके लिए स्विट्ज़रलैंड के लूगानो में स्थित स्विस नेशनल सुपरकंप्यूटिंग सेंटर के पिज़ डेंट सुपरकंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया. पूरी प्रक्रिया में पूर्ण-तरंग इनवर्जन नामक एक नई तकनीक का उपयोग किया गया, जो कई भूकंपीय मानों को जोड़ कर पृथ्वी के अंदर की उच्च गुणवत्ता वाली छवियां तैयार करता है.

आशा और संदेह की मिश्रित स्थिति

हालांकि यह खोज बेहद उत्साहजनक है, वैज्ञानिकों को इन धब्बों के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है. जियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के पीएचडी छात्र थॉमस के अनुसार, वैज्ञानिकों को इस बात का पता नहीं चल पाया है कि ये धब्बे वास्तव में क्या हैं. वे इसकी गहन अध्ययन और जांच कर रहे हैं ताकि अधिक जानकारी प्राप्त की जा सके. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संरचनाएं धरती के निर्माण के समय ही बनी हो सकती हैं, लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है.

यह खोज पृथ्वी के आंतरिक और भूवैज्ञानिक सिद्धांतों पर नए सवाल खड़ा करती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह शोध धरती की उत्पत्ति और उसके आंतरिक संरचना के बारे में नए दृष्टिकोण खोल सकता है. इससे हमें प्लेट टेक्टोनिक गतिविधियों, उनके प्रभाव और पृथ्वी के इतिहास के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हो सकती है. यह खोज पृथ्वी के प्रारंभिक विकास के अध्ययन के लिए एक नई दिशा प्रदान कर सकती है और भूगर्भीय प्रक्रियाओं के बारे में बेहतर समझ विकसित कर सकती है.

भविष्य में और भी खोजों की उम्मीद

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई खोज ने उन्हें और भी गहन शोध करने का उत्साह दिया है. वे अब इन रहस्यमयी "डूबे हुए संसारों" की और अधिक जांच कर रहे हैं, ताकि यह समझा जा सके कि ये धब्बे पृथ्वी के आंतरिक इतिहास के बारे में क्या बताने की कोशिश कर रहे हैं. इस खोज से हमें पृथ्वी के भविष्य और अतीत के बारे में और भी जानकारी मिल सकती है. 

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30 January 2025, 05:05 PM IST

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