70 करोड़ साल पहले धरती कुछ ऐसी थी जिसे जानकर... नए रिसर्च से वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा
सोचो, अगर पूरी पृथ्वी बर्फ से ढक जाए और अंतरिक्ष से एक चमचमाते सफेद गोले की तरह दिखे! 70 करोड़ साल पहले ऐसा ही हुआ था, जब पूरी धरती जम गई थी. इसे 'स्नोबॉल अर्थ' कहा जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि उस दौर में बर्फ कई किलोमीटर मोटी थी, जिसने धरती को पूरी तरह जकड़ लिया था. लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि यह बर्फ पिघलने लगी? और कैसे इस घटना ने धरती पर जीवन को जन्म देने में अहम भूमिका निभाई? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें!

Amazing Facts: सोचो, अगर तुम्हें अंतरिक्ष से हमारी धरती एक चमचमाते सफेद गोले की तरह दिखे! बिल्कुल बर्फ से ढकी हुई, जैसे किसी ने पूरे ग्रह को डीप फ्रीजर में रख दिया हो.ये कोई कल्पना नहीं, बल्कि 70 करोड़ साल पहले सच में ऐसा हुआ था! इस दौर को क्रायोजेनियन काल कहते हैं, जब पूरी पृथ्वी पर बर्फ की मोटी चादर बिछ गई थी.
लेकिन ये हिमयुग सिर्फ ठंड की कहानी नहीं है, बल्कि धरती पर जीवन के विकास की भी एक बड़ी वजह बना! वैज्ञानिकों ने हाल ही में इस पर रिसर्च की है और कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. आइए जानते हैं, कैसे हमारी धरती पूरी तरह बर्फ में बदल गई थी और फिर से जीवन के लिए तैयार हुई!
धरती पर आई बर्फ की सुनामी
आज से 70 करोड़ साल पहले, हमारी धरती ने सबसे भयानक ठंड देखी थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस दौरान बर्फीले तूफानों ने पूरे ग्रह को जकड़ लिया था. विशाल ग्लेशियर (हिम नदियां) पहाड़ों से उतरकर समुद्र तक पहुंच गए थे. इस घटना को "स्नोबॉल अर्थ" (Snowball Earth) कहा जाता है, क्योंकि उस समय पृथ्वी एक बर्फीले गोले की तरह नजर आती थी.
शोध में बताया गया है कि बर्फ की ये चादरें कई किलोमीटर मोटी थीं और उन्होंने धरती की सतह को बुलडोजर की तरह घिस डाला था. जब ये बर्फीले तूफान शांत हुए, तो पानी के बहाव ने कई खनिज महासागरों तक पहुंचा दिए, जिससे जीवन पनपने की संभावनाएं बनीं.
अचानक धरती क्यों जमी?
अब सवाल उठता है कि आखिर धरती इतनी ठंडी क्यों हुई? वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी वजह वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की भारी कमी थी.
➛ जब वायुमंडल में CO₂ की मात्रा गिरती है, तो ठंड बढ़ने लगती है.
➛ उस समय के महाद्वीप उष्णकटिबंधीय (tropical) इलाकों में थे, जहां तेज रासायनिक प्रक्रियाओं की वजह से CO₂ चट्टानों में समा गया.
➛ इससे सूरज की गर्मी धरती तक ठीक से नहीं पहुंची और ठंड ने पूरी धरती को जकड़ लिया.
बर्फ फैलने के बाद, सूरज की रोशनी वापस अंतरिक्ष में जाने लगी, जिससे ठंड और बढ़ गई. और देखते ही देखते, धरती पूरी तरह से जम गई!
फिर कैसे पिघली ये बर्फ?
अगर धरती इतनी ठंडी हो गई थी, तो फिर से गर्म कैसे हुई? जवाब है - ज्वालामुखी!
➛ करोड़ों सालों तक ज्वालामुखी लगातार CO₂ छोड़ते रहे, जिससे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें इकट्ठा होने लगीं.
➛ जब CO₂ का स्तर बढ़ा, तो ग्रीनहाउस इफेक्ट हुआ और धरती धीरे-धीरे गरम होने लगी.
➛ बर्फ पिघलने लगी और समुद्रों में खनिजों और पोषक तत्वों का प्रवाह शुरू हुआ.
इस बदलाव ने समुद्री जीवन के विकास को बढ़ावा दिया, जिससे आगे चलकर जटिल जीवों का जन्म हुआ. यानी, अगर ये स्नोबॉल अर्थ नहीं होता, तो शायद धरती पर जीवन भी नहीं होता!
क्या हम फिर से ऐसी स्थिति में आ सकते हैं?
वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही आज धरती गर्म हो रही है, लेकिन इस तरह के जलवायु परिवर्तन काफी अनिश्चित होते हैं. अगर किसी वजह से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा अचानक गिर जाए, तो धरती फिर से एक हिमयुग में जा सकती है! अतीत हमें यह सिखाता है कि हमारे ग्रह का जलवायु तंत्र बेहद संवेदनशील है. अगर हम इसे संतुलित नहीं रख पाए, तो भविष्य में हमें भीषण बदलाव देखने को मिल सकते हैं!
बर्फीली तबाही से जीवन की शुरुआत
70 करोड़ साल पहले, धरती पर आई बर्फ की सुनामी ने इसे पूरी तरह जमा दिया था. लेकिन जब ये बर्फ पिघली, तो जीवन के लिए नई संभावनाएं बनीं. इस रिसर्च से हमें ये समझ आता है कि जलवायु परिवर्तन कितना शक्तिशाली हो सकता है और हमें इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. तो अगली बार जब कड़ाके की ठंड में कांप रहे हो, तो सोचो - एक समय ऐसा भी था जब पूरी धरती ही फ्रीज हो गई थी!


