'इमरान खान टैलेंटेड नहीं थे, हम पर चिल्लाते थे...', जब वसीम अकरम ने खोला राज
पाकिस्तान के दिग्गज गेंदबाज वसीम अकरम ने कहा कि उनके करियर की सफलता का श्रेय इमरान खान को जाता है, जिन्होंने मेहनत, आत्मविश्वास और नेतृत्व से टीम को प्रेरित किया.

Wasim Akram: पाकिस्तान के दिग्गज तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने अपने क्रिकेट करियर से जुड़ी अहम यादें साझा करते हुए पूर्व कप्तान और 1992 वर्ल्ड कप विजेता इमरान खान की जमकर तारीफ की है. वसीम अकरम ने कहा कि इमरान ना केवल एक बेहतरीन कप्तान थे बल्कि उन्होंने उनके करियर और व्यक्तित्व को भी संवारने में अहम भूमिका निभाई.
वसीम अकरम ने माना कि अगर वे आज एक सफल खिलाड़ी और पेशेवर बने तो उसका पूरा श्रेय इमरान खान को जाता है. उन्होंने बताया कि इमरान की कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और टीम को प्रेरित करने की क्षमता ही उन्हें बाकी कप्तानों से अलग बनाती थी.
इमरान खान से मिली दिशा और आत्मविश्वास
वसीम अकरम ने कहा कि मुझे लगता है कि एक क्रिकेटर के तौर पर मैंने जो कुछ भी किया, मैदान के अंदर और बाहर, उसका श्रेय उन्हें जाता है. वो हमें बहुत आत्मविश्वास देते थे. वो आगे बढ़कर नेतृत्व करते थे. उन्हें अपनी क्षमता पर पूरा विश्वास था. वो एक मेहनती क्रिकेटर थे. उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में इमरान के मार्गदर्शन ने उन्हें मजबूत बनाया और क्रिकेट में परिपक्वता दी.
मेहनत से बनाई पहचान
जहां लोग इमरान को प्रतिभाशाली मानते थे, वहीं वसीम अकरम का मानना है कि उनकी सफलता लगातार मेहनत का नतीजा थी. वसीम अकरम ने कहा कि लोग कहते थे कि मैं स्वाभाविक रूप से बहुत प्रतिभाशाली हूं. स्किपर प्रतिभाशाली नहीं थे. उन्होंने कड़ी मेहनत की. याद कीजिए उन्होंने अपना गेंदबाजी एक्शन बदला था. ठीक 76 साल की उम्र से. थोड़ा सा एक्शन बदलने में भी महीनों लग सकते हैं, हो सकता है कि ये हो ही ना. लेकिन उन्होंने अपना एक्शन बदला. वो बहुत दृढ़ थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि इमरान ने अपने खेल को निखारने के लिए खुद को पूरी तरह बदलने की क्षमता दिखाई, जो पूरी टीम के लिए प्रेरणा बन गई.
टीम के लिए आदर्श और प्रेरणा
वसीम अकरम ने कहा कि इमरान खान की मेहनत और आत्मविश्वास ने टीम में ऐसा माहौल बना दिया था जिसमें कोई भी खिलाड़ी ढिलाई नहीं बरत सकता था. वसीम अकरम ने बताया कि इमरान अपने खिलाड़ियों से 100% समर्पण की उम्मीद रखते थे और आलस्य को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे. उन्होंने कहा कि कभी-कभी वो हम पर चिल्लाते थे क्योंकि अगर आप आलसी हैं, तो कोई बात नहीं. वो सख्त थे, लेकिन मैदान पर भी सख्त थे. आप अपना 100% देते हैं. अगर आप अच्छा नहीं करते, तो उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं होती थी.


