''जायसवाल के आउट पर उठा बड़ा सवाल: DRS सही था, लेकिन प्रक्रिया गलत!"
मेलबर्न टेस्ट में यशस्वी जायसवाल के आउट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। थर्ड अंपायर ने बिना सही सबूत के निर्णय पलट दिया, जिससे DRS की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे। अंतर्राष्ट्रीय अंपायर ने इस फैसले को गलत बताया और कहा कि सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। जानिए, इस विवाद ने क्रिकेट के तकनीकी फैसलों और खेल भावना को कैसे प्रभावित किया!

Cricket: मेलबर्न में खेले गए बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में यशस्वी जायसवाल के आउट होने को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस दौरान डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) और थर्ड अंपायर द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए गए। खासकर तब, जब जायसवाल को पैट कमिंस की बाउंसर पर कैच आउट दिए जाने का ऑन-फील्ड निर्णय नॉट आउट था, लेकिन तीसरे अंपायर ने बिना अल्ट्रा-एज में निर्णायक सबूत के निर्णय को बदल दिया।
क्यों हुआ विवाद?
जायसवाल ने 84 रन की शानदार पारी खेली थी, और जब कमिंस ने एक बाउंसर डाली, तो उनका कैच लिया गया, लेकिन अंपायर ने उन्हें नॉट आउट दिया। हालांकि, तीसरे अंपायर शारफुद्दौला ने रिप्ले में कैच का स्पष्ट डिफ्लेक्शन देखा और बिना अल्ट्रा-एज के स्पष्ट सबूत के निर्णय पलट दिया। इस फैसले ने कई क्रिकेट विशेषज्ञों को चौंका दिया और उन्होंने इस प्रक्रिया को गलत और असंगत बताया।
Sunil Gavaskar on Yashasvi Jaiswal's decision pic.twitter.com/o3VJlYNYMh
— The Khel India (@TheKhelIndia) December 30, 2024
अंतर्राष्ट्रीय अंपायर ने क्या कहा?
स्पोर्ट्स नाउ से बात करते हुए, एक अंतर्राष्ट्रीय अंपायर ने जायसवाल के आउट होने पर तीसरे अंपायर द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया को गलत बताया। उनका कहना था, "समस्या प्रोटोकॉल में है। अगर आपने एक कदम आगे बढ़ाया है, तो क्यों वापस लौटे? एक बार जब आपने अल्ट्रा-एज से परामर्श किया और स्पाइक दिखाई, तो आपको पहले के दृश्य पर लौटने की कोई आवश्यकता नहीं थी।" उन्होंने यह भी कहा कि अंपायर को प्रक्रिया में पूरी सुसंगतता बनाए रखनी चाहिए।
अंपायर ने उदाहरण देते हुए कहा, "आप एक प्रक्रिया का पालन करते हैं, जैसे आप पहले 10वीं कक्षा करते हैं, फिर 12वीं और अंत में बीए करते हैं। क्या आप बीए के बाद 10वीं कक्षा में लौटते हैं? यही बात अल्ट्रा-एज के मामले में भी लागू होती है।"
क्या डीआरएस सही है?
अंतर्राष्ट्रीय अंपायर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, "डीआरएस प्रणाली एकदम सही है, इसमें कोई समस्या नहीं है। समस्या उस व्यक्ति की है जो इसका उपयोग करता है, और प्रक्रिया में सुसंगतता की कमी है।" उनका मानना था कि जब तक डीआरएस का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, तब तक यह एक बेहतरीन प्रणाली साबित होती है, लेकिन अगर इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाए तो परिणाम भ्रामक हो सकते हैं।
अंपायर ने खेल भावना पर क्या कहा?
इस बारे में पूछे जाने पर अंपायर ने कहा, "आप पूरे खेल को इस तरह से खराब नहीं कर सकते। यह किसी गलती का परिणाम हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूरी खेल भावना पर असर पड़े।" अंपायर के अनुसार, किसी एक फैसले से खेल की गुणवत्ता पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन इसके बावजूद सही प्रक्रिया अपनाना बेहद जरूरी है। जायसवाल के आउट पर उठे विवाद ने DRS और अंपायर की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, डीआरएस प्रणाली तकनीकी रूप से सही है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू करना और प्रक्रिया में सुसंगतता बनाए रखना बहुत जरूरी है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि तकनीकी उपकरणों के बावजूद क्रिकेट में सही निर्णय लेने के लिए मानवीय फैसले और प्रक्रियाएं उतनी ही अहम हैं।


