IND vs ENG: बेन स्टोक्स मैदान में झोंकते रहे जान, बुमराह को मैनेजमेंट देता रहा आराम! क्या टीम इंडिया को इंग्लैंड से सीखना चाहिए?
लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने जहां जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. वहीं भारत ने जसप्रीत बुमराह को वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत सीमित रखा. अब सवाल उठ रहा है क्या भारत की यह सतर्क रणनीति इंग्लैंड की आक्रामक सोच के सामने फीकी पड़ रही है?

IND vs ENG Test Series: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज अब सिर्फ स्कोर पर नहीं, बल्कि रणनीति और सोच के स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है. लॉर्ड्स टेस्ट में जहां इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने पारंपरिक टेस्ट कप्तानी का आदर्श उदाहरण पेश किया, वहीं भारत ने अपने स्टार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत सीमित भूमिका में रखा.
स्टोक्स की मैदान पर मौजूदगी और बुमराह की अनुपस्थिति ने प्रशंसकों और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच तीखी बहस को जन्म दे दिया है. क्या भारत की सतर्क रणनीति टीम के संघर्ष को बढ़ा रही है? और क्या इंग्लैंड का आक्रामक रवैया उन्हें सीरीज में बढ़त दिला सकता है?
स्टोक्स की कप्तानी में नजर आया जुनून
लॉर्ड्स टेस्ट के पांचवें दिन जब मुकाबला निर्णायक मोड़ पर था, तब इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने ऐसा कुछ किया जो आज के दौर में दुर्लभ माना जाता है. उन्होंने पहले लंच से पहले 9.2 ओवर का स्पैल डाला और फिर लंच के बाद बिना रुके 10 ओवर की गेंदबाजी कर भारतीय बल्लेबाजों पर दबाव बनाए रखा. स्टोक्स ने मैच में कुल 44 ओवर डाले, एक रन आउट किया और भारतीय रणनीति को कई बार ध्वस्त किया.
ये सब तब हुआ जब इंग्लैंड का मेडिकल स्टाफ लगातार स्टोक्स को संयम से खेलने की सलाह दे रहा था, लेकिन कप्तान ने टीम की जरूरत को प्राथमिकता दी और खुद को झोंक दिया.
बुमराह को रोकना बना बहस का मुद्दा
वहीं दूसरी ओर, भारत के सबसे घातक तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को दूसरे टेस्ट में आराम दिया गया. लॉर्ड्स में उन्होंने 7 विकेट लिए थे और शानदार लय में थे, लेकिन इसके बावजूद तीसरे टेस्ट में उनसे छोटे-छोटे स्पैल ही डलवाए गए. यह निर्णय तब लिया गया जब भारत पहला टेस्ट हार चुका था और सीरीज में वापसी की सख्त जरूरत थी.
वर्कलोड मैनेजमेंट बनाम कप्तानी सोच
स्टोक्स जैसे ऑलराउंडर, जो बल्लेबाजी के साथ-साथ लगातार गेंदबाजी भी कर रहे हैं, वहीं चार साल बाद लौटे जोफ्रा आर्चर भी 6 ओवर के स्पैल डाल रहे हैं. इसके विपरीत, बुमराह जैसे अनुभवी मैच विनर से महज़ 5 ओवर का स्पैल करवाना भारत की रणनीति पर सवाल खड़े करता है.
जब इंग्लैंड के खिलाड़ी अपनी सीमा से आगे जाकर टीम के लिए खेल रहे हैं, तब भारत का प्रबंधन बुमराह को अगले टेस्ट के लिए संभाल रहा है. क्या यह सच में सही रणनीति है?
क्या रणनीति में होगा बदलाव?
कोच गौतम गंभीर पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि बुमराह को पहले, तीसरे और पांचवें टेस्ट में ही खिलाया जाएगा. लेकिन अगर मैनचेस्टर में सीरीज बचानी है, तो यह देखना होगा कि बुमराह को पिछले टेस्ट में विश्राम देना एक रणनीतिक चूक थी या पूर्व नियोजित फैसला.
अगर भारत अगला मैच हारता है, तो सीरीज यहीं खत्म हो जाएगी. लॉर्ड्स टेस्ट यह स्पष्ट करता है कि इंग्लैंड जीत के लिए जोखिम उठाने को तैयार है, जबकि भारत अब भी लॉन्ग टर्म प्लान और खिलाड़ी सुरक्षा के दायरे में बंधा हुआ है.


