कम आंका गया, लेकिन दमदार: भारतीय बल्लेबाज़ी की नई मज़बूत नींव बन रहे हैं केएल राहुल
F1 जैसी उच्च स्तरीय मानसिक तैयारी, मैदान पर गज़ब का संयम और फॉर्म में शानदार वापसी, केएल राहुल अब टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए एक भरोसेमंद सलामी बल्लेबाज़ के रूप में नई नींव रख चुके हैं.

लॉर्ड्स टेस्ट के तीसरे दिन जब केएल राहुल बल्लेबाज़ी कर रहे थे, तो उन्हें देखकर यह साफ़ महसूस हो रहा था कि वह पूरी तरह नियंत्रण में हैं. हर शॉट में परिपक्वता, हर डिलीवरी पर शांत सोच और पूरे स्कोरबोर्ड को संतुलित गति से आगे बढ़ाने की कला उनके खेल में दिख रही थी. वह पूरी तरह से डटे रहे, मानो कोई गलती की गुंजाइश ही न हो.
राहुल का करियर स्थिर नहीं
कुछ साल पहले तक राहुल का करियर स्थिर नहीं था. उन्हें टीम में कभी सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर, तो कभी मध्यक्रम में जगह दी गई. वह हमेशा उपयोगी खिलाड़ी माने जाते थे, लेकिन स्थायी नहीं. मगर मौजूदा सीरीज़ में, खासतौर पर इस नई भारतीय टीम में, उन्हें वही भूमिका दी गई है जिसे वह शुरू से निभाना चाहते थे, सलामी बल्लेबाज की.
तीसरे दिन के खेल के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने कहा कि मैं हमेशा शीर्ष क्रम पर बल्लेबाज़ी करना पसंद करता हूं. यह मेरी स्वाभाविक स्थिति है और मैं वहां खेलकर बहुत सहज महसूस करता हूं. राहुल की यह स्थिरता अचानक नहीं आई. 33 वर्षीय इस बल्लेबाज ने अपने मानसिक संतुलन और प्रतिक्रिया समय पर विशेष मेहनत की है. उन्होंने फॉर्मूला वन जैसे खेलों में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों को अपनाया है और विशेषज्ञों की मदद से खुद को मानसिक रूप से मज़बूत बनाया है.
राहुल के खेल में शांति और दृढ़ता
उन्होंने बताया कि मैंने पिछले कुछ सालों में ऐसे अभ्यास किए हैं जो प्रतिक्रिया समय को सुधारने में मदद करते हैं. रेड बुल के माध्यम से मुझे कुछ कोचों से सीखने का मौका मिला जो F1 और अन्य हाई-इंटेंसिटी खेलों से जुड़े हैं. राहुल अब कम बोलते हैं, लेकिन उनके खेल में जो शांति और दृढ़ता है, वह सबकुछ कह देती है. मीडिया से दूर रहना और शांत रहकर प्रदर्शन करना आज की तेज़ दुनिया में दुर्लभ है, लेकिन राहुल ने यही रास्ता चुना है.
सुनील गावस्कर ने भी उनकी तारीफ करते हुए कहा कि लॉर्ड्स में लगाया गया उनका दूसरा शतक अविश्वसनीय था. राहुल शायद भारत के सबसे कम आंके गए क्रिकेटरों में से एक हैं, लेकिन उनका योगदान टीम की रीढ़ की तरह है. गावस्कर ने यह भी कहा कि राहुल का टीम में अनुभव और शांत स्वभाव ड्रेसिंग रूम में भी उतना ही मायने रखता है जितना मैदान पर. उनका इंग्लैंड में अनुभव युवाओं के लिए अमूल्य है. वह एक सीनियर खिलाड़ी के तौर पर टीम को संबल देते हैं, चाहे वह विकेटकीपिंग हो या बैटिंग टिप्स देना.


