'50 कॉल किए, कोई जवाब नहीं': उद्धव ठाकरे पर एकनाथ शिंदे का बड़ा हमला
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने विधान परिषद में विपक्ष पर जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 2019 में जब बीजेपी और शिवसेना को मिलकर बहुमत मिला था, तब देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव को 40-50 बार फोन किया, लेकिन उन्होंने एक भी कॉल का जवाब नहीं दिया.

महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. विधान परिषद में विपक्ष के 'पिछले सप्ताह के घटनाक्रम' पर चर्चा के दौरान डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जमकर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद भी ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस के 40-50 फोन कॉल्स का जवाब तक नहीं दिया और कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिलाकर सत्ता में आ गए.
एकनाथ शिंदे ने ठाकरे पर 'राजनीतिक गिरगिट' की उपाधि देते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने इतनी जल्दी रंग बदलने वाला नेता पहले कभी नहीं देखा. शिंदे ने दावा किया कि फडणवीस ने खुद उनकी सिफारिश पर 2017 में मुंबई के मेयर पद की कुर्सी शिवसेना को दी थी, लेकिन 2019 में ठाकरे ने उन्हें धोखा दे दिया.
'2017 में मेरी सिफारिश पर मिला था मेयर पद'
एकनाथ शिंदे ने कहा, "2017 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना को 84 और बीजेपी को 82 सीटें मिली थीं. मेरी सिफारिश पर देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को मेयर पद देने का निर्णय लिया था. लेकिन 2019 में उद्धव ठाकरे ने उन्हें धोखा दिया."
'2019 में बीजेपी को छोड़ कांग्रेस के पास गए ठाकरे'
शिंदे ने नाम लिए बिना ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा, "महाराष्ट्र ने कभी ऐसा गिरगिट नहीं देखा जो इतनी जल्दी रंग बदलता हो. वे उन्हीं के साथ चले गए, जिन्हें कभी नीच कहा करते थे." यह इशारा कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन की ओर था, जिसे ठाकरे ने 2019 में बीजेपी से अलग होकर बनाया था.
'गुवाहाटी में थे बागी, तब भी कर रहे थे चालें'
एकनाथ शिंदे ने 2022 की उस घटना को भी याद किया जब वह और उनके समर्थक विधायक गुवाहाटी में ठहरे हुए थे. शिंदे ने कहा, "उद्धव ठाकरे एक ओर मुझसे मेल-मिलाप की कोशिश कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में बीजेपी नेताओं से कह रहे थे कि बागी गुट का समर्थन न करें." यह कथन दर्शाता है कि ठाकरे ने दोहरा रवैया अपनाया था.
लता मंगेशकर पर भी राजनीति
शिंदे ने एक और बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार मिला, तो ठाकरे इतने नाखुश हो गए कि उन्होंने लता मंगेशकर म्यूजिक स्कूल खोलने का ऐलान ही वापस ले लिया. "जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो सबसे पहले वही म्यूजिक स्कूल शुरू किया जो ठाकरे ने रोक दिया था.
'ठाकरे से मुलाकात के अगले दिन बरसे शिंदे'
गौर करने वाली बात यह है कि शिंदे का यह तीखा हमला उस मुलाकात के अगले दिन आया जब ठाकरे ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. वहीं देवेंद्र फडणवीस ने भी एक दिन पहले सदन में चुटकी लेते हुए कहा था, "उद्धवजी, आप सत्तापक्ष में आ जाइए, पुरानी बातें भुला दीजिए."


