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233 फीट का रावण, मेघनाद और कुंभकरण के साथ दहन, देखिए कोटा का रिकॉर्ड ब्रेकर रावण दहन का Video

Kota Dussehra 2025: कोटा में इस बार दशहरे पर 233 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन हुआ. इस भव्य आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष और कोटा से तीन बार के सांसद ओम बिरला तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का शुभारंभ किया.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Kota Dussehra 2025: राजस्थान के कोटा शहर ने इस वर्ष दशहरे के अवसर पर इतिहास रचते हुए एक नया विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. दशहरा मैदान में रावण के 233 फुट ऊंचे पुतले के दहन ने न केवल कोटा की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया बल्कि इसे दुनिया के सबसे ऊंचे रावण दहन कार्यक्रम के रूप में भी मान्यता दिलाई. इस भव्य आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष और कोटा से तीन बार के सांसद ओम बिरला तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का शुभारंभ किया. रावण का पुतला इतना विशाल था कि मैदान में खड़े हजारों दर्शकों को उसका सिर देखने के लिए भी गर्दन उठानी पड़ी. उसके दोनों ओर खड़े 60-60 फुट ऊंचे कुंभकरण और मेघनाद जैसे बौने प्रतीत हो रहे थे.

 रावण दहन से बना विश्व रिकॉर्ड

इससे पहले दिल्ली में वर्ष 2024 में 210 फुट ऊंचे रावण दहन का रिकॉर्ड था. कोटा ने 233 फुट ऊंचे रावण का पुतला जलाकर इसे पीछे छोड़ दिया.  राजपरिवार के इज्यराज सिंह ने छोड़ा तीर कोटा के पूर्व राजपरिवार के मुखिया इज्यराज सिंह ने भगवान लक्ष्मीनारायण की शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए दशहरा मैदान में पहुंचकर रावण दहन के लिए तीर छोड़ा. परंपरागत तरीकों से यह दहन समारोह और भी खास बन गया. मुख्यमंत्री ने कहा  कि अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि यह अवसर अन्याय पर न्याय की जीत को दर्शाता है. कोटा दशहरा हमारी सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का संगम है. रावण के 233 फुट ऊंचे पुतले ने इस साल एक नया रिकॉर्ड बनाया है.

कितना समय लगा रावण को बनाने में

हरियाणा के अंबाला जिले के कारीगर तेजेंद्र चौहान  ने अपनी 25 सदस्यीय टीम के साथ मिलकर इस विशाल पुतले को तैयार करने में लगभग चार महीने का समय लिया. उन्होंने न केवल रावण, बल्कि कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को भी बारीकी से सजाया.

सेंसर फेल, फिर भी नहीं मानी हार

रावण दहन की पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार सेंसर सिस्टम से इसे जलाया जाना था लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते यह फेल हो गया. इसके बाद नगर निगम की अग्निशमन टीम और हाइड्रोलिक क्रेन की सहायता से पुतले के शेष हिस्सों को मैन्युअल रूप से जलाया गया. इस दौरान दशहरा मैदान में उपस्थित हजारों लोग रावण दहन का बेसब्री से इंतजार करते रहे. तकनीकी खामी ने आयोजन समिति में थोड़ा बाधा जरूर डाला लेकिन टीम ने हार नहीं मानी और पूरे धैर्य व समर्पण के साथ रावण का दहन सफलतापूर्वक किया गया.

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03 October 2025, 11:46 AM IST

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