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AAP की मांग, बीजेपी सरकार पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल पंप पर तेल नहीं देने के जनविरोधी आदेश तुरंत वापस ले- मनीष सिसोदिया

दिल्ली में 10 साल पुरानी पेट्रोल और 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर लगे प्रतिबंध को लेकर आम आदमी पार्टी ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है. पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि यह फैसला ऑटो कंपनियों और स्क्रैप इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाने के लिए लिया गया है, जिससे 61 लाख मिडिल क्लास परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Manish Sisodia on Delhi Old Vehicle Ban: दिल्ली में 10 साल पुरानी पेट्रोल और 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक लगाने के फैसले को लेकर आम आदमी पार्टी ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह आदेश तुगलकी फरमान है, जो ऑटो कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली के 61 लाख मिडिल क्लास परिवारों को मजबूरन नई गाड़ियां खरीदने के लिए बाध्य कर रहा है.

सिसोदिया ने कहा कि कई पुरानी गाड़ियां अब भी बेहतर स्थिति में हैं, प्रदूषण नहीं फैला रहीं, लेकिन फिर भी उन्हें स्क्रैप करने को कहा जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस नीति से वाहन निर्माता, स्क्रैप डीलर और हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट कंपनियों को सीधा लाभ हो रहा है, जबकि आम आदमी की जेब पर भारी मार पड़ी है.

पुरानी गाड़ियों पर बैन के पीछे कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश

मनीष सिसोदिया ने कहा, "बीजेपी सरकार और ऑटो कंपनियों की सांठगांठ से यह फैसला लिया गया है ताकि नई गाड़ियां ज्यादा बिकें. 61 लाख वाहन मालिकों को अपनी ठीक-ठाक चलने वाली गाड़ियां स्क्रैप करने को कहा जा रहा है. इससे सीधे तौर पर वाहन निर्माता, स्क्रैप डीलर और हाई सिक्योरिटी प्लेट बनाने वालों को फायदा होगा."

उन्होंने आगे कहा कि एक जुलाई से दिल्ली में पुराने वाहनों पर रोक लगाई गई और उसी दिन केंद्र सरकार ने टैक्सी कंपनियों को किराया बढ़ाने की छूट दे दी. उन्होंने इस फैसले को एक सोची-समझी रणनीति बताया जिससे ओला-उबर जैसी कंपनियों को फायदा मिले.

फुलेरा की पंचायत जैसा शासन मॉडल बना रही है बीजेपी सरकार

प्रेसवार्ता के दौरान सिसोदिया ने पंचायत वेब सीरीज का हवाला देते हुए कहा, “जैसे उस सीरीज में साम, दाम, दंड, भेद और झूठ का इस्तेमाल करके पंचायत बनाई जाती है, वैसे ही दिल्ली सरकार फुलेरा की नई पंचायत बन चुकी है. एजेंसियों और पुलिस के दुरुपयोग से सत्ता चलाई जा रही है, लेकिन नीति बनाने में पूरी तरह विफल है.”

उन्होंने कहा कि यह फैसला दिल्ली के 61 लाख वाहन मालिकों के जीवन को मुश्किल में डाल रहा है, जिनमें लाखों लोग मिडिल क्लास और सैलरी क्लास से आते हैं.

मीडिल क्लास को मजबूर किया जा रहा

सिसोदिया बोले, "एक मिडिल क्लास आदमी 5-10 साल की बचत और लोन लेकर एक कार या बाइक खरीदता है. कई गाड़ियां तो 10 हजार किलोमीटर भी नहीं चली हैं, लेकिन उन्हें भी सड़कों से हटाया जा रहा है. वरिष्ठ नागरिकों की कारें भी अब चल नहीं पाएंगी. सरकार कह रही है कि अब नई गाड़ी खरीदनी होगी, चाहे आपकी पुरानी गाड़ी बिलकुल फिट क्यों न हो."

उन्होंने कहा कि यह गाड़ी कोई शर्ट नहीं जिसे हर साल बदल लिया जाए. कार एक सपना होता है, जो आम आदमी जीवन में एक बार पूरा कर पाता है.

स्क्रैप इंडस्ट्री और नंबर प्लेट कंपनियों की होगी चांदी

आप नेता ने कहा, "इस फरमान से सबसे पहले फायदा ऑटो कंपनियों को होगा, दूसरा स्क्रैप इंडस्ट्री को, तीसरा हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने वाली कंपनियों को और चौथा ओला-उबर को."

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह महज संयोग है कि एक जुलाई को जब पुरानी गाड़ियों पर बैन लागू हुआ, उसी दिन टैक्सी कंपनियों को पीक आवर्स में दोगुना किराया वसूलने की छूट मिल गई?

कोर्ट का बहाना बनाकर जनता को लूटा जा रहा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर इस फैसले को सही ठहराने की कोशिशों पर भी सिसोदिया ने हमला बोला. उन्होंने कहा, “अगर बीजेपी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश को रोकने के लिए रातों-रात अध्यादेश ला सकती है, तो क्या 61 लाख परिवारों को राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठा सकती?” उन्होंने केंद्र से पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल-डीजल न देने का आदेश तुरंत वापस लेने की मांग की.

सिसोदिया ने अंत में कहा, "अगर किसी गाड़ी से ज्यादा प्रदूषण हो रहा है तो उसे बंद किया जाना चाहिए, लेकिन जो गाड़ियां ठीक हैं, उन्हें चलने दिया जाए. यह लोगों को लूटने वाला तरीका है, न कि प्रदूषण रोकने की नीति."

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03 July 2025, 04:04 PM IST

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